Book Title: Neminahacariya Part 1
Author(s): Haribhadrasuri, H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 431
________________ नेमिनाहचरिउ [१८५७] भुवण-बंधु वि महि विहरंतु विसहंतुवसम्ग-सय दिव्व-तिरिय-माणु सिय बहु-विह । परिवालइ अप्पु जिह भुवण-उयर-गय जीव छव्विह ॥ एवं-कारिण कालु तमु गउ छउमत्थत्तेण । जुसु साहिज्जइ लेसयरु पुव्व-सूरि-उत्तेण ।। जहा - [१२] [१८५८] वारस चेव उ वासा मासा छ च्चेव अद्ध-मासो य । वीर-वरस्स भयवओ एसो छउमत्थ-परियायो॥ [१८५९] एयम्मि य परियाए जो अणुचिन्नो तवो जिण-चरेण । वीरेण भयवया तं कहिज्जमाणं निसामेह ।। [१८६०] नव-चउमासिय खमणे छक्किर दो-मासिए अकासी य। वारस य मासियाई वावत्तरि अद्ध-मासाई ॥ [१८६१] एग चिय छम्मासं दो पुण ते-मासियाई खमणाई। अड्ढाइय-मासाइं दो दो दिवड्-मासाइ॥ [१८६२] दोहिं अहो-रत्तेहि भद-प्पडिमं अकासि वीर-जिणो। चउहि च महा-भई दसहि पुण सव्वओ-भई ॥ [१८६३] पढमाए उवसग्गो चउ-जामा चउ-दिसं पि पत्तेयं । वीयए अहोरत्तं तं चिय तइयाए दिसि-दसगं ॥ [१८६४] पंच दिवसेहिं ऊणं खमणं छम्मासियं च कासी य । गोयर-चरिय समोओ घोराभिग्गह-धरो धीरो ॥ ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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