Book Title: Neminahacariya Part 1
Author(s): Haribhadrasuri, H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 437
________________ [१८८७ [१३] नेमिनाहचरिउ [१८८७] आयामु जासु जोयण-पमाणु। जाहिं रिसहह ह सिवपुरि-पयाणु ॥ गाउयई तिन्नि उच्चत्तु कहिउ । तं तित्थु पवरु अमरेहिं महिउ ॥ [१८८८] ससि-निम्मल-मणिमय-चउ-दुवारु । निम्मविय-विविह-चित्त-प्पयारु ॥ सुर-सिहरि-चूल-समु सिहरु जासु । को वन्निउ सक्कइ सोह तासु ।। [१८८९] जहिं घडिय-पवर-पुत्तलिय-पंति । अवयरिय-वरच्छर नं सु-कंति ॥ पणवन्न-रयण-कर-विप्फुरंति । नं इंद-चाव-सय वित्थरंति ॥ [१८९० उत्तत्त-कणय-मउ कलसु भाइ । रवि-विवु उदय-गिरि-सिहरि नाइ ॥ तुंगत्तिण रवि-सोमहं विलग्गु । नं भवियहं दरिसइ सिद्धि-मग्गु ॥ [१८९१] गब्भ-हर-मज्झि मणि-पेढियाए । उसभाइयाण सम-सेढियाए ॥ पडिमाउ जिणाण पसन्नियाउ । निय-चन्न-पमाण-समन्नियाउ ॥ १८९०. २. क. दयगिरि. १८९१. ३. क. पडिमाओ, पनन्नियाभो.. ४. क. समन्मियाओ. Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450