Book Title: Neminahacariya Part 1
Author(s): Haribhadrasuri, H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 439
________________ ४२६ [ १८९६ नेमिनाहचरिउ [१८९६] __ अह निजोदर-पूर-परमन्नु आणेप्पिणु गणहरिण भणिउ पुरउ तावसहं - भुंजहं । इयरे वि स-विम्हइय एत्तिएण हविहइ किमम्हहं ॥ अहव गुरु च्चिय जाणिसइ इय समगु वि चिंतंत । भुंजहिं पायसु पनरस वि तावस-सय छुहवंत ॥ [१८९७] इंदभूइ वि विहिय-भोयणहं सव्वेसि वि तावसहं पच्छिमम्मि कालम्मि भुंजइ । पुवाणिय-मेत्तु परमन्नु सयलु मुणि-जणु वि रंजई ।। तह सेवालय-पारणिय- तावस-पंच-सयाई । जायउं केवलु ससि-विमल-झाणहं भुजंताई ॥ [१८९८] मुक्क-तरु-फल-विहिय-पारण डिन्नाइ-पंच-स्सयह मुणिहिं नाणु मग्गम्मि जायउं । कोडिन्नाईण पुण कंद-मूल-पार[ण]हं हूयउं ॥ केवल-नाणु विसुद्ध-सिय- लेसहं मुणि-वसहाहं । निय-लोयण-सच्चविय-जिण-समवस्सरण-झयाई ॥ [१८९९] कमिण गोयमु पत्तु जिण इंदपय-मूलि इयरे उ मुणि दाउ तिन्नि नाहह पयाहिण । उवविट्ठ केवलि-सहहं गोयमो वि गहियउ विसाइण ॥ जंपइ - पहु इहि मुणि-वसह धन्न अहं तु अहन्नु । अणहुय-केवलु भमिसु निरु चिरु संसार-अरन्नु ॥ १८९६. ७. क. चितंतु. १८९७. १. क. परमतु. १८९८. २. दिन्नाइ, ५. क. ख. पारहं. Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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