Book Title: Neminahacariya Part 1
Author(s): Haribhadrasuri, H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 440
________________ ४२७ १९०५ ] सत्तमभवि संखवुत्तंति महावीरचरिउ [१९०० __ अह जिणाहिवु मुणिवि गणहरह मणु गिरि-गुरु-खेय-गउ भणइ - किह णु गोयम विवरसि । धुवु हविहइ मह तुह वि सिव-गइ त्ति इहु किं न-याणसि ॥ किं पुण चिर-परिओसि तुहुं मह इय दढ-पडिबंधु । उज्झसि जइयहं तइयह जि तुह केवल-संबंधु ॥ अन्नं च - [१९०१] गोयम चत्तारि कडा सुंठ-कडो विदल-चम्म-कडगा य । कंवल-कडो य महुवरि कंवल-कडगु व तुह नेहो ।। [१९०२] एत्थंतरम्मि गोयम-निस्साए पन्नवेइ अज्झयणं । दुम-पत्तयं जिणिदो दितो सीसाण अणुसहि ॥ [१९०३] दुम-पत्तए पंडुयए जह निवडइ राय-गुणाण अच्चए । एवं मणुयाण जीवियं समय गोयम मा परायण ॥ [१९०४] कुसग्गे जह ओस-विंदुए थोवं चिट्ठइ लंबमाणए । एवं मणुयाण जीवियं समयं गोयम मा पमायए । [१९०५] एम्व गोयम-सामि संठविउ तयणंतरु वीर-जिणु कमिण पत्तु सावस्थि-नयरिहिं । वणि कोढग-नामगइ समवसरिउ ता अमर-नियरिहिं ॥ परिथुव्वंतउ धम्म-कह आरंभइ परिसाए । पविसइ गोयम-सामि पुणु पुरिहि मज्झि भिक्खाए । १९०२. ४. क. हितो. १९०५. १. कोडग. ५. क. नियरहिं. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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