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१९०५ ]
सत्तमभवि संखवुत्तंति महावीरचरिउ
[१९०० __ अह जिणाहिवु मुणिवि गणहरह मणु गिरि-गुरु-खेय-गउ भणइ - किह णु गोयम विवरसि । धुवु हविहइ मह तुह वि सिव-गइ त्ति इहु किं न-याणसि ॥ किं पुण चिर-परिओसि तुहुं मह इय दढ-पडिबंधु । उज्झसि जइयहं तइयह जि तुह केवल-संबंधु ॥
अन्नं च - [१९०१] गोयम चत्तारि कडा सुंठ-कडो विदल-चम्म-कडगा य ।
कंवल-कडो य महुवरि कंवल-कडगु व तुह नेहो ।।
[१९०२] एत्थंतरम्मि गोयम-निस्साए पन्नवेइ अज्झयणं ।
दुम-पत्तयं जिणिदो दितो सीसाण अणुसहि ॥
[१९०३] दुम-पत्तए पंडुयए जह निवडइ राय-गुणाण अच्चए ।
एवं मणुयाण जीवियं समय गोयम मा परायण ॥
[१९०४] कुसग्गे जह ओस-विंदुए थोवं चिट्ठइ लंबमाणए ।
एवं मणुयाण जीवियं समयं गोयम मा पमायए ।
[१९०५]
एम्व गोयम-सामि संठविउ तयणंतरु वीर-जिणु कमिण पत्तु सावस्थि-नयरिहिं । वणि कोढग-नामगइ समवसरिउ ता अमर-नियरिहिं ॥ परिथुव्वंतउ धम्म-कह आरंभइ परिसाए । पविसइ गोयम-सामि पुणु पुरिहि मज्झि भिक्खाए । १९०२. ४. क. हितो. १९०५. १. कोडग. ५. क. नियरहिं.
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