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नेमिनाहचरिउ
[१९०६
तम्मि अवसरि तीए नयरीए गोसालउ पाव-मइ अ-जिणु अप्पु जिण-वरु ति ठाविरु । आयन्निउ गोयमिण तयणु अहह किमिमं ति भाविरु ।। साहइ गंतु जिणेसरह गोसालय-वुत्तंतु । भयवंतिण विनिवेइयउ तमु वइयरु जह-वृत्तु ।
[१९०७]
तयणु जण-मुह-मुणिय-जिण-वयणु जपतु अ-समंजस तेय-लेस-लद्धीए गाविउ । गोसालउ पाव-मइ जिणह समवसरणम्मि आबिउ ॥ दोन्नि महा-रिसि निहइ पहु-परिहवु अ-सहंत । ता जिण-इंदस्स वि मुयइ तेय-लेस पजलंत ॥
[१९०८]
किंतु सामिहि पास-देसेसु परिभमिउण तसु तणुहुं तेय-लेस तक्खणि पविट्ठिय । फल-दायग तर्हि जि भवि हुय वुद्धि दुधिणय-दुहिय ॥ अह गोसालउ मरिवि निय दुकय-सुकय-गिहु जाउ । भयवंतु वि विहरंतु धर मेंढिय-गामि पराउ ॥
[१९०९]
किंतु दाह-ज्जरिण अइसाररोगेण य पीडियउ गमइ दियह कित्तिय वि जय-पहु । अह सीहय-खुइडलउ रुयइ गंतु तरु-मूलि अइ-बहु ॥ ता भयवंतिण वेयणिय- अति सु सदावेवि । आणाविवि रेवइ-घरह ओसहु उवजीवेवि ॥ १९०८. ३. क. पवट्ठिय. १९०९. ८. क. रेवय.
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