Book Title: Neminahacariya Part 1
Author(s): Haribhadrasuri, H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 435
________________ રર नेमिनाearts [१८७९] ता नमसिवि सामि विहि-पुव्व उचियासणि उवविसइ तयणंतरु जिणिण तसु तह जह सो सावय-पवरु अवरु विचरणि पवन्तु वहु जणु [१८८० ] अह जिणाहि पउर-परिवारु कमिण पिचिप पहुत्तउ | तियसिंद- सेविय चलणु तर्हि पणमिवि साल - महसाल - निवइ- जुवनिविहिं वुत्तउ || सामिय अहं कहसु कु-वि धम्मु तयणु वीरेण । चरण धम्मु तह अक्खियउ तेर्सि जह अइरेण ॥ Jain Education International 2010_05 निवइ नियय- परिवार - सहियउ । दुव्विrry नियधम्मु कहियउ || हुयउ अवर असमाणु । कय- जिण वहु-माणु ॥ [१८८१] पिढर-जसमइ-तणु- समुब्भूउ गुण-रयणालंकियउ भाइणेज्जु नियइल्लु गग्गलि । सु-पवित्तर लग्ग निय- रज्जि ठविउ किज्जंति मंगलि || अपणु पुणु जय - सामियह पासि गहीउ चरित्तु । भगवंतु वि चंप गयउ जगु व कुतु पवित्तु ॥ पमुद्देहिं महा-मुणिहिं ता गग्गलि पिउ जणणिचरणु पवज्जइ तयणु जिणभाव-विसेसिण नाणु हुउ १८८०. ७. क. धमु. १८८१. १. क. [१८८२] अवर अवसर साळ - महसाल - समगु तत्थ गोयमु पहुत्तउ । सहिउ चरण-आचरण- चत्तउ ॥ वंदण-कइ चलियाण | तहं पंचहं समणाण ॥ पिठर. ख. पिवर. For Private & Personal Use Only * ૨૮૭૬ www.jainelibrary.org

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