Book Title: Navtattva Adhunik Sandarbh
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 32
________________ बोया बीज बबूल का, आम कहां से होय ? प्रत्येक आदमी सुख, स्वास्थ्य और दीर्घ आयुष्य चाहता है । एक शब्द में कहा जाए तो वह पुण्य या उसका फल चाहता है । अप्रिय और प्रतिकूल स्थिति कोई नहीं चाहता। किन्तु जो चाहता है, वह मिल नहीं पाता। यदि आज चिन्तामणि, कामधेनु, कामकुंभ जैसी बात सामने होती, हर चाह पूरी होती तो शायद दुनिया दूसरे प्रकार की होतो। आदमो स्वर्ग को धरती पर लाने की बात नहीं सोचता । पर ऐसा हो नहीं रहा है । ऐसा क्यों नहीं हो रहा है, इसकी सबसे अधिक व्याख्या कर्मवाद ने को। इस संदर्भ में शरीरशास्त्र और मनोविज्ञान की पहुंच बहुत छोटी होती है । वे परिस्थिति, परिवेश और आनुवंशिकता के आधार पर इसकी व्याख्या करते हैं । आनुवंशिकता या परिस्थिति से जो मिलता है, वैसा ही व्यक्ति को प्राप्त होता है । कर्मवाद में आनुवंशिकता को मानने में कोई कठिनाई नहीं है किन्तु उसमें उससे आगे की एक सचाई स्वीकृत है और वह है अतीत का अर्जन। जीवन की व्याख्या : आनुवंशिकता का सिद्धान्त अतीत में हमने जो अजित किया है, वह हमें प्रभावित करता है । वही यह भेदरेखा खींच रहा है कि सुख होगा या दुःख ? प्रतिष्ठा मिलेगी या अप्रतिष्ठा ? काम निर्विघ्न होगा या नहीं ? ये सारे प्रश्न अतीत के अर्जन से जुड़े हुए हैं । हमारे भीतर कैसा भंडार भरा है, इसे समझना होगा। इस कारण को Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org

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