Book Title: Navtattva Adhunik Sandarbh Author(s): Mahapragna Acharya Publisher: Jain Vishva BharatiPage 64
________________ आत्मा और परमात्मा परमात्मा की यात्रा है। प्राणधारा को नीचे से उठाना और ऊपर ले जाना, यह है हमारा मोक्ष । जो वृत्तियां जागत होकर मनुष्य को संसार में ले जाती हैं, वे नीचे की ओर जाती हैं। जो वृत्तियां जागृत होकर मनुष्य को मोक्ष की ओर ले जाती हैं, वे ऊपर की ओर जाती हैं । स्वार्थ हमेशा नीचे की ओर जाएगा। जितने परमार्थ के विचार हैं, वे ऊपर की ओर जाएंगे। नीचे से ऊपर की ओर जाना परमात्मा होना है। संसार और मोक्ष कहा जा सकता है-शरीर में ही संसार है और शरीर में ही मोक्ष है । यदि यह परिकल्पना स्पष्ट हो, हम मोक्ष को समझे तो जीव से अस्तित्व तक की, आत्मा से परमात्मा तक की यात्रा निर्बाघ सम्पन्न हो जाती है। हम इस सचाई को जानें । इसमें दृढ़ आस्था, विशुद्ध चेतना और भावक्रिया बहुत सहायक होती है । इनसे भी ज्यादा सहायक बनती है हमारी जागरूकता । जैसे-जैसे जागरूकता बढ़ेगी, परमात्मा तक पहुचने की दिशा स्पष्ट होती चली जाएगी। यह दिशा की स्पष्टता ही आत्मा से परमात्मा तक की यात्रा को सम्पन्न करने में प्रमुख हेतु बनती है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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