Book Title: Navtattva Adhunik Sandarbh Author(s): Mahapragna Acharya Publisher: Jain Vishva BharatiPage 57
________________ आत्मा और परमात्मा अस्तित्व का एक छोर है आत्मा और दूसरा छोर है परमात्मा । एक छोर है- जीव और दूसरा छोर है-मोक्ष । जीव से मोक्ष और आत्मा से परमात्मा । इसके लिए मानव प्रयत्न करता रहा है, साधन करता रहा है । जीव जीवन के साथ चलता है और परमात्मा केवल अस्तित्व के साथ चलता है । जीवन एक अंतहीन श्रृंखला है, उसके अनन्त रहस्य हैं । हम कितना ही प्रयत्न करें पर जीवन के सारे रहस्य जाने नहीं जा सकते । जैसे-जैसे वैज्ञानिकों ने खोज की, कुछ सचाइयों का पता चला किन्तु उसके अनंत रहस्य फिर भी अनजाने बने हुए हैं। जैसे-जैसे हम जोवन के कुछ रहस्यों को खोज पाते हैं। वैसे-वैसे उससे और अधिक रहस्य प्रकट होते रहते हैं । मोक्ष को प्रक्रिया प्रश्न होता है-जीव से मोक्ष तक, आत्मा से परमात्मा तक पहुंचाने वाले आलंबन क्या हैं ? कहा गया - सबसे पहले जोव और अजीव को जानो । जीव अलग है और अजीव अलग है, इस बात को जानो । जीव और अजोव को जानने के बाद जीव की गति को जानो - जीव परिभ्रमण करता है । गति और परिभ्रमण का पुनर्जन्म | पहली सचाई है - जीव है । दूसरी सचाई हैपुनर्जन्म है, नाना प्रकार के रूपों में जीव अपना जीवन चलाता है । वह कभी मनुष्य बनता है, कभी पशु, कभी नारक और गति करता है, मूल हेतु है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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