Book Title: Navtattva Adhunik Sandarbh Author(s): Mahapragna Acharya Publisher: Jain Vishva BharatiPage 60
________________ आत्मा और परमात्मा ५३ प्रभावित नहीं कर सकता, जो सर्वथा अप्रभावित हो गया और अपने आनंद में लीन हो गया, वह है- परमात्मा । उसके साथ कर्तृत्व की बात को जोड़ना संगत प्रतीत नहीं होता । सूक्ष्म जगत् : स्थूल जगत् परमात्मा पर स्थूल जगत् के नियम लागू नहीं होते । सूक्ष्म जगत् के नियमों से जुड़ा होता है - परमात्मा | स्थूल जगत् और सूक्ष्म जगत् के नियम अलग-अलग होते हैं । एक व्यक्ति के सामने दो चीजें पड़ी हैं - एक है सूक्ष्म बाल, दूसरा है - काठ का बड़ा टुकड़ा । व्यक्ति के हाथ में उसे काटने के लिए कुल्हाड़ी है । व्यक्ति कुल्हाड़ी चलाएगा तो काठ का बड़ा टुकड़ा कट जाएगा पर बाल नहीं कटेगा । जिस कुल्हाड़ी से काठ कट सकता है उससे छोटा-सा बाल नहीं कट सकता । क्योंकि स्थूल जगत् के नियम सूक्ष्म जगत् पर लागू नहीं होते। हम स्थूल जगत के नियमों से परिचित हैं किन्तु सूक्ष्म जगत् के नियमों को नहीं जानते । इसी कारण आत्मा और परमात्मा के विषय में बहुत सारे प्रश्न और संदेह पैदा होते हैं । जब तक आदमी केवल स्थूल नियमों की सीमा में घिरा रहेगा तब तक वह संदेहों के घेरे में रहेगा । जब वह सूक्ष्म नियमों को जानने लगेगा, सारे संदेह मिटते चले जाएंगे। बहुत सारे चमत्कार, जिन्हें आम आदमी चमत्कार मानता है, एक वैज्ञानिक के लिए कोई चमत्कार नहीं होते, क्योंकि वह नियमों को जानता है | स्थूल जगत् से परे हम स्थूल जगत् के नियमों को स्थूल जगत् के संदर्भ में देखें, सूक्ष्म जगत् के नियमों को सूक्ष्म जगत् के संदर्भ में देखें । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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