Book Title: Navkar ke Chamatkar Diwakar Chitrakatha 003 Author(s): Vishalmuni, Shreechand Surana Publisher: Diwakar Prakashan View full book textPage 4
________________ 70220 रत्नपुर नगर में यशोभद्र और शिवा नामक एक समृद्ध दम्पति रहते थे। स्वर्ण पुरुष aaaaaa Kaaraaaaaaaaaaaar यों तो सेठ यशोभद्र को कोई कमी नहीं थी, परन्तु पुत्र का अभाव श्रेष्ठी दम्पत्ति के मन में कांटे-सा चुभता रहता। स्त्री होने के कारण सेठानी का दुःख और भी गहरा था। एक दिन शिवा ने यशोभद्र से कहा स्वामी ! पुत्र के बिना हमारा धनवैभव सब व्यर्थ है। हमारी गाढ़ी कमाई को कौन भोगेगा और कौन हमारे वंश का नाम चलायेगा? प्रिये ! मैं तुम्हारा दुःख मानता हूँ, ना धैर्य रखो। नवकार मन्त्र का श्रद्धा और निष्ठापूर्वक जाप करो जिससे हमारे अशुभ कर्मों का नाश होगा। 5000 मनोकामना पूर्ण होगी। HUT सेठानी शिवा को भी नवकार मन्त्र पर अगाध श्रद्धा थी। वह विधिपूर्वक नवकार मन्त्र का प्रतिदिन पाठ करने लगी। णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्व साहूणं सव साण श्वज्जयार णतामालए र शिक्षा ANENT adoad 000000000 Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrariesPage Navigation
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