Book Title: Navkar ke Chamatkar Diwakar Chitrakatha 003
Author(s): Vishalmuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 14
________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार KO तान्त्रिक दुबारा और भी ऊँचे स्वर में | तान्त्रिक की बारमन्त्र जाप करने लगा। बार की विफलता के कारण वैताल क्रुद्ध होकर स्वयं शव के शरीर में प्रवेश हो गया। शव एक दम ओम् रिम उठकर खड़ा हो गया। नीच तान्त्रिक तूने मुझे जगाया अब तेरा अन्त आ गया है। SAJSS हिम - M NMAN - - SMN MULNMAL AaWS क्षमा, स्वामी! क्षमा, मुझे माफ कर वैताल ने तान्त्रिक की एक नहीं सुनी. उसे पकड़कर | हवनकुण्ड की ओर उछाल दिया। बचाओ-बचाओ 12 For Private & Personal Use Only ERED 112 Jain Education International aary.org

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