Book Title: Navkar ke Chamatkar Diwakar Chitrakatha 003
Author(s): Vishalmuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 16
________________ अग्नि बन गई जल नये महल की दीवार दिन भर में जितनी बनती, रात को ढह जाती थी। महल के चारों ओर रक्षक सैनिक नियुक्त थे वे भी इसका कारण नहीं बता पा रहे थे। दीवार का बनना और ढहना नित्य क्रम बन गया। यह घटना उस समय की है जब | राजगृह पर राजा बिम्बसार श्रेणिक का राज्य था। राजा श्रेणिक एक भव्य महल का निर्माण करवा रहे थे। यह महल उस युग की कला तथा संस्कृति का अद्भुत नमूना था। देश के प्रसिद्ध वास्तुकारों को महल के निर्माण का दायित्व सौंपा गया। शिल्पकार और कारीगर पत्थरों में नई जान डालने में जुटे हुये थे। परन्तु अचानक एक आश्चर्यजनक घटना घटने लगी। Jain Education.International For Private & Personal Use Only www.ctulen 22000 TimrW R24 2 7 GR AA www.jainelibrary.org

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