Book Title: Navkar ke Chamatkar Diwakar Chitrakatha 003
Author(s): Vishalmuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 25
________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार यह घटना देखकर राजा श्रेणिक और उसके दरबारी स्तब्ध रह गये/राजा श्रेणिक अमर कुमार के चरणों में गिर पड़े और दीन स्वर में बोले हे कुमार! मेरी भूल को क्षमा कर दीजिए। आज से आप इस राज्य के स्वामी हैं, और मैं आपका दास हूँ। Arantertai.mamtemaANOEDDC अमर कुमार ने राजा श्रेणिक से कहा हे राजन् ! इस संसार में कोई किसी का नहीं है। माँ, बाप, भाई और राजा भी अपने-अपने स्वार्थ में डूबे हैं। मैंने देख लिया, निस्वार्थ रक्षक तो एक पंचपरमेष्ठी मंत्र है, मैं अब उसी की शरण में जाऊँगा.... LWALLLLLLLLLIALLL Jain Education International For Prive 23 Personal Use Only www.jainelibrary.org

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