Book Title: Navkar ke Chamatkar Diwakar Chitrakatha 003
Author(s): Vishalmuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ र प्राकृत दिवाकर चित्रकथा णमोकार मंत्र के चमत्कारी जयपुर भारती अंक ३ मूल्य २०.०० अकादमी णमा सिद्धाणं पा एसो पंच पढम णमो अरिहंताणं । आयरियाणा elbaar Lock प्पणासा सव्व पाव Lottierbe JHID - सुसंस्कार निर्माण विचार शुद्धि ज्ञान वृद्धि मनोरंजन For Private & Personal use only' Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार णमोकार मंत्र अनादि सिद्ध मंत्र है। श्रद्धापूर्वक स्मरण और ध्यान करने से इसका तुरन्त फल मिलता है। नित्य जीवन में हजारों लोगों का अनुभव है कि णमोकार मंत्र के पाठ से उनका असाध्य रोग मिट गया। आती हुई विपत्ति टल गई। घर में भूत-प्रेत का उपद्रव था, नवकार पाठ से शान्ति हो गई । व्यापार में वृद्धि होने लगी। नौकरी में उन्नति मिल गई। मनोकामनाएँ पूर्ण हो गईं। अनेक प्रकार के भौतिक लाभों के सिवाय, णमोकार महामंत्र का आध्यात्मिक लाभ तो अचिन्त्य है। श्रद्धा भावपूर्वक जपने से मन को शान्ति मिलती है। आत्मा में प्रसन्नता और निर्मलता आती है । अन्तिम समय णमोकार ध्यान में लीन हो, प्राण त्यागने I से परलोक में सद्गति की प्राप्ति होती है। इसलिए इसके आराधक और मंत्र रहस्य के जानकार आचार्यों ने इसे सर्व सिद्धिदायक महामंत्र बताया है। जैन शास्त्रों में णमोकार मंत्र का महत्त्व और उसके फल बताने वाली सैंकड़ों चमत्कारी कथाएँ मिलती हैं। इस पुस्तक में हमने सिर्फ तीन ही घटनाएँ ली हैं। दो प्राचीन और एक अनुभव सिद्ध बीती हुई। इनके विषय में अधिक कुछ नहीं कह कर पाठकों से यही कहना चाहते हैं कि वे श्रद्धा भावपूर्वक णमोकार मंत्र का पाठ कर जीवन में स्वयं चमत्कार अनुभव करें। गहरी निष्ठा, तन्मयता, नियमित पाठ और विधिपूर्वक साधना करने वाला एक नहीं, अनेकों चमत्कार अनुभव करता है। Serving Jinshasan. -महोपाध्याय विनय सागर सम्पादक : श्रीचन्द सुराना "सरस' 070320 gyanmandir@kobatirth.org लेखक : उपाध्याय डा. विशाल मुनि प्रकाशन प्रबंधक : संजय सुराना प्रकाशक -श्रीचन्द सुराना 'सरस' श्री दिवाकर प्रकाशन ए-7, अवागढ़ हाउस, अंजना सिनेमा के सामने, एम. जी. रोड, आगरा-282002. फोन : (0562) 2151165 प्राकृत भारती एकादमी, जयपुर 13-ए, मेन मालवीय नगर, जयपुर-302017. दूरभाष : 2524828, 2524827 अध्यक्ष, श्री नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ, मेवानगर (राज.) चित्रांकन : डा. त्रिलोक शर्मा Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 000090 NITION णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्व साहूणं TITIATION एसो पंच णमोकारो, सव्व पाव प्पणासणो मंगलाणं च सव्वेसिं पढम हवइ मंगल। SMARoRAROLOOTRAMOOMARA अरिहंतों को नमस्कार, सिद्रों को नमस्कार, आचार्यों को नमस्कार, उपाध्यायों को नमस्कार, संसार के सब साधुओं को नमस्कार! पवित्र आत्माओं को शुद्ध मन से किया गया यह नमस्कार सब पापों का नाश करने वाला है। यह संसार में सबसे उत्तम मंगल है। विश्व में लाखों व्यक्ति (जैन) इस महामंत्र का जप करते है। इसके पाँचों पदों के पैंतीस अक्षर हैं। इन अक्षरों में अदभुत मंत्र शक्ति छुपी है। शुद्ध भावों के साथ तन्मय होकर इनका मप (उच्चारण) करने से ध्वनि तरंगों के प्रकम्पन से अन्तःकरण में ऊर्जा का विस्फोट होता है। जिसके प्रभाव से हमारी अध्यात्मिक शक्तियाँ माग जाती हैं और शरीर के भिन्न-भिन्न चेतना केन्द्र शक्तिशाली एवं ज्योतिर्मय होकर रोग, शोक, भय, चिन्ता आदि को नष्ट कर देते हैं। यह मंत्र अशुभ ग्रहों की पीड़ा, भूत प्रेत हिंसक जीवों का उपद्रव, रोग तथा दुष्ट-घात आदि से रक्षा कवच की भाँति सदा रक्षा करता है। आरोग्य, सौभाग्य आदि अनेक प्रकार के भौतिक एवं अध्यात्मिक लाभ देने वाला यह महामन्त्र अक्षय शक्ति का स्रोत माना गया है। REDUE 1 Education International Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 70220 रत्नपुर नगर में यशोभद्र और शिवा नामक एक समृद्ध दम्पति रहते थे। स्वर्ण पुरुष aaaaaa Kaaraaaaaaaaaaaar यों तो सेठ यशोभद्र को कोई कमी नहीं थी, परन्तु पुत्र का अभाव श्रेष्ठी दम्पत्ति के मन में कांटे-सा चुभता रहता। स्त्री होने के कारण सेठानी का दुःख और भी गहरा था। एक दिन शिवा ने यशोभद्र से कहा स्वामी ! पुत्र के बिना हमारा धनवैभव सब व्यर्थ है। हमारी गाढ़ी कमाई को कौन भोगेगा और कौन हमारे वंश का नाम चलायेगा? प्रिये ! मैं तुम्हारा दुःख मानता हूँ, ना धैर्य रखो। नवकार मन्त्र का श्रद्धा और निष्ठापूर्वक जाप करो जिससे हमारे अशुभ कर्मों का नाश होगा। 5000 मनोकामना पूर्ण होगी। HUT सेठानी शिवा को भी नवकार मन्त्र पर अगाध श्रद्धा थी। वह विधिपूर्वक नवकार मन्त्र का प्रतिदिन पाठ करने लगी। णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्व साहूणं सव साण श्वज्जयार णतामालए र शिक्षा ANENT adoad 000000000 Education Intemational www.jainelibraries Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार नवकार मन्त्र के प्रभाव से पुण्यकर्मों का उदय उन्होंने बड़े धूमधाम से पुत्र का जन्मोत्सव मनाया। हुआ और सेठानी शिवा ने एक पुत्र को जन्म सैकड़ों गरीबों को भोजन कराया। दान किया। दिया। शिवा देवी का पुत्र होने के कारण IVइस बालक को हम शिवकुमार के कितना सुन्दर नाम से पुकारेंगे। बालक है? VVVVVVIAN IVAVVVVVVIAN | शिवकुमार का लालन-पालन बड़े लाड़-प्यार || बेहद लाड़-प्यार के कारण शिवकुमार बिगड़ने से होने लगा। लगा और बुरी संगत में पड़ गया। बेटा शिव! संध्या हो गई। है घर के भीतर आ जाओ। ले बेटा! ये खीर खा ले। MUFT नहीं माँ ! मैं खीर नहीं खाऊँगा। मुझे तो सैंवई चाहिये। नहीं माँ! मैं अभी और खेलूँगा। RED For Private Personal Use Only www.jainelibrar.org Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार प्रारम्भ में माता-पिता ने उसे बाल-लीलाएं समझकर ध्यान नहीं दिया। कभी माँ कुछ कहती तो पिता अपने पुत्र का पक्ष ले लेते। पिता बिगड़ते तो माँ अपने आँचल में पुत्र को छुपा लेती। एक ही तो पुत्र है बड़ी मनौतियों के बाद इसका मुँह देखा है। आप क्यों रात-दिन इसके पीछे पड़े रहते हैं? INIST COUR इस दोहरे लाड़-प्यार से शिवकुमार बिगड़ने यशोधर अपने पुत्र को तुरन्त छुड़ाकर लगा। एक दिन-1 ले आया और समझाया। सेठमी! आपका पुत्र जुआ बेटा! तुम जो कार्य कर खेलता पकड़ा गया है। रामा के । रहे हो वह उचित नहीं सिपाही उसे पकड़कर ले गये हैं।। है। ये दुर्व्यसन तुम्हें बरबाद कर देंगे। पिताजी! द्यूत-क्रीड़ा से मैं तो सिर्फ अपना मनोरंजन कर रहा था। आप व्यर्थ ही आसमान सिर पर उठा रहे हो? इस तरह शिवकुमार अपनी मन-मी करने लगा। माँ-बाप कुछ नहीं कर सके। REPE Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार एक दिन शिवकुमार ने अपनी माँ के गहने | जौहरी उन गहनों को गिरवी रखकर पैसा लेने चुराये और बाजार में जाकर जौहरी की दुकान | यशोधर के पास आया। पर बेच आया हैं ! ये आभूषण आपके) पास कहाँ से आये? तभी जौहरी की नजर शिवकुमार पर पड़ी। (एक युवक बेचने आया था मैंने उसी से खरीदे हैं। यही है वह युवक ! ल ANS यशोधर सब कुछ समझ गया। यशोधर ने उन आभूषणों को जौहरी से वापिस खरीद लिया और घर आकर सेठानी से बोलाअब घर का चिराग ही घर को जलाने लग गया है। हमारी आशाओं पर हे भगवान् ! ऐसे पुत्र को पानी फिर गया। जन्म देने के बजाय तो मेरी -कोख सूनी ही रह जाती तो। अच्छा होता। ल LS इस घटना से यशोधर के हृदय को गहरा धक्का लगा। उसने पलंग पकड़ लिया। For Private Personal Use Only Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार अन्दर ही अन्दर की पीड़ा से यशोधर दिनोंदिन कमजोर होता गया। एक रात उसकी हालत बहुत खराब हो गई। उसने शिवकुमार को अपने पास बुलाया। बेटा ! अब मेरा अन्तिम समय आ गया तू मेरी एक बात मान ले। ये पंच परमेष्ठी नवकार मन्त्र याद कर ले। तेरे ऊपर जब भी कोई भयानक संकट आ जाय तो इसे हृदय से स्मरण कर लेना, तेरा संकट टल जायेगा। THAN MODOH शिवकुमार को नवकार महामन्त्र पर कोई विश्वास नहीं था। परन्तु पिता की आखिरी इच्छा जानकर उसने मन्त्र को याद कर लिया। कुछ ही देर बाद यशोधर की मृत्यु हो गई। ओह ! पिताजी चल बसे। माँ को तुरन्त खबर . करनी चाहिये। हे भगवान् ! यह क्या हुआ ? पति की मृत्यु से सेठानी शिवा के हृदय को ऐसा गहरा धक्का लगा वह भी बेहोश होकर गिर पड़ी यो फिर कभी उठ नहीं सकी। Jain Educatio Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार माता-पिता की मृत्यु के बाद शिवकुमार बिलकुल अब तो शिवकुमार का सारा वक्त द्यूत खेलने, नाच स्वच्छन्द हो गया। उसके कुव्यसनी मतलबी देखने व मदिरापान में ही मित्र उसे सांत्वना देने आये। व्यतीत होने लगा। गम को छोड़ो मित्र! लो इस हार गये तो क्या हुआ? मदिरा के प्याले को पीने से तुम सब गमों को भूल जाओगे। दुबारा दाँव लगाओ। कभी तो जीतोगे? मित्रों के कहने में आकर शिवकुमार बुटी संगत में पड़ गया। चम्पा बाई का नाच, हार के) सब गमों को भुला देता है। वाह! वाह! पानी की तरह पैसा बहाने से धीरे-धीरे उसका सारा धन व्यसनो की भेंट चढ गया। पैसा खत्म हुआ तो मित्र भी किनारा कर गये शिवकुमार नितांत अकेला रह गया। धन भी खत्म हो गया। मित्र भी चले। गये। अब मुझे कहीं से धन एकत्रित करना चाहिए। SS धन-प्राप्ति के लिये वह इधर-उधर भटकने लगा। Jan Education International Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार भटकते-भटकते एक दिन शिवकुमार जंगल के पास श्मशान में पहुंचा। वहाँ एक तान्त्रिक तन्त्र साधना कर रहा था। सुना है कि तान्त्रिकों के पास धन MC प्राप्त करने के बहुत मन्त्र, उपाय आदि होते हैं। मुझे इस तान्त्रिक से) सहायता लेनी चाहिये। DOM ( ) गजायण demons TEAM -MA | शिवकुमार ने पास पहुँचकर तान्त्रिक को प्रणाम | तान्त्रिक शिवकुमार को देखकर मन ही मन किया और अपनी दुखगाथा सुनाई।। अत्यन्त प्रसन्न हुआ परन्तु ऊपर से अपनी योगीराज! आप अपनी तन्त्र असमर्थता प्रकट करते हुये बोलाशक्ति से मेरी दरिद्रता हे भोले मानव ! हमारे पास दूर कीजिये। मैं बहुत धन कैसा? हम तो त्यागी दुःखी हूँ। हैं। संन्यासी हैं। यासी हैं। Posta AAR शिवकुमार ने आँखों में आँसू भरकर कहा योगीराज! आप त्यागी हैं तो साथ ही परोपकारी भी हैं। आप तपस्वी ही संसारीजनों के कष्ट मिटाने में सक्षम होते हैं। आप मेरे ऊपर उपकार करें। तान्त्रिक कळणा का प्रदर्शन करता हुआ बोला(हम साधुओं की सबसे बड़ी कमजोरी यही होती है दूसरे के दुःख देखकर हमारा हृदय तुरन्त पिघल जाता है। मैं तुम्हारे कष्टों का निवारण करूंगा।परन्तु थोड़ा श्रम तुमको भी करना पड़गा। Bw.jainelionairy:OLA Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शिवकुमार तुरन्त बोला आप आज्ञा करें! मैं सब कुछ करने को तैयार हूँ। imma mus 772 Wee M We Weal शिवकुमार की आँखों में धन के सपने नाचने लगे। वह योगी को प्रणाम करके तुरन्त चल दिया। काफी खोज बीन के बाद उसे घने जंगल में पुरुष का एक अखण्ड शव पड़ा मिल गया। णमोकार मंत्र के चमत्कार Sile वाह ! इस शव से मेरा कार्य सिद्ध हो जायेगा। 213 तान्त्रिक ने अपना जाल शिवकुमार के ऊपर फैलाया। उसने शव को अपने कन्धे पर रखा और रात होने से पहले ही उसे तान्त्रिक के सामने शव लाकर रख दिया। In r जाओ, कहीं से एक अखण्ड शव ढूँढ कर लाओ! आज काली चौदस है। मैं शव पर कुछ तंत्र क्रियायें करूँगा। उसके बाद तुम अपार धन के स्वामी बन जाओगे। युवक! तुमने बहुत बड़ा काम कर दिया। यों समझो कि तुम्हें आधी सफलता मिल गई। शेष आधी मिलने में भी तुम्हें अधिक समय नहीं लगेगा। आधी रात के बाद ही तुम मालामाल हो जाओगे। बस अब तुम इस शव को अपने कन्धे पर रखकर मेरे साथ चले चलो। LA 2004 . -RED 9 Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार धन-प्राप्ति के लालच में शिवकुमार ने शव को कन्धे पर रखा और तान्त्रिक के पीछे-पीछे चल जिया। w adi COOSA कुछ दूर चलने के पश्चात् तान्त्रिक ने पेड़ों की झुरमुट में प्रवेश किया। झुरमुट के उस पार एक भयानक रौद्र आकार की मूर्ति रखी हुई थी। बायीं तरफ अग्नि जल रही थी। मूर्ति के निकट आकर वह शिवकुमार से बोला- यवक/ शव को इस पवित्र ADING देवता की मूर्ति के चरणों में रख दो। THAK जाशिवकुमार ने बताये स्थान पर शव रख दिया। तान्त्रिक ने मन्त्र पढकर शव के चारों ओर जल छिड़का। हवन कुण्ड बनाया। शव के हाथ में तलवार पकड़ाई और शिवकुमार से बोला a हि हे युवक ! तुम शव के पैरों के पास घुटनों के बल) 5 बैठ जाओ। |शिवकुमार तान्त्रिक की आज्ञानुसार शव के पैरों के पास बैठ गया। 10 dal gelibrary.org Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार अब तान्त्रिक बड़ी जोर-जोर से मन्त्रों का जाप करने ऐसे विचार मन में आते ही शिवकुमार के हाथ-पैर लगा। भयानक काली अंधेरी रात शमशान जैसा थर-थर कांपने लगे। संकट से बचने का उपाय डरावना वातावरण शिवकुमार का हृदय घबराहट खोजते-खोजते अचानक पिता की शिक्षा उसके कि मारे धक-धक करने लगा। उसने सोचा मस्तिक में बिजली की भाँति कोंधी। (कहीं यह तान्त्रिक मुझे ओह ! पिताजी ने मुझे संकट के समय। मारने का ही तो षड्यन्त्र महामन्त्र नवकार का जाप करने को नहीं रच रहा....? कहा था। आज शायद इसके स्मरण से मेरी जान बच जाये। ENIO शिवकुमार ने विश्वासपूर्वक मन ही मन नवकार मन्त्र का पाठ करना प्रारम्भ कर दिया। इधर तान्त्रिक के मन्त्र जाप का प्रभाव शव पर हुआ। | उसने शिवकुमार से पूछावह उठा, किन्तु सीधा खड़ा न हो सका। पुनः जमीन पर गिर गया। तान्त्रिक ने शव की यह दशा देखी तो युवक ! तुम कोई मन्त्र-तन्त्र) दुबारा मन्त्रमाप किया। दूसरी बार भी शव उठा, किन्तु जानते हो? फिर गिर गया। तान्त्रिक को बड़ा आश्चर्य हुआ। नहीं मैं तो कोई मन्त्री (मेरी मन्त्र साधना नहीं जानता। Si निष्फल क्यों ही रही O n है? कौन बाधक बन रहा है? UKSON mad im Wom अवश्य ही यह पंच परमेष्ठी महामन्त्र का प्रभाव है। शिवकुमार और भी श्रद्धापूर्वक नवकार मन्त्र का जाप करने लगा। Folivate & Personal Use Only PLEARN Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार KO तान्त्रिक दुबारा और भी ऊँचे स्वर में | तान्त्रिक की बारमन्त्र जाप करने लगा। बार की विफलता के कारण वैताल क्रुद्ध होकर स्वयं शव के शरीर में प्रवेश हो गया। शव एक दम ओम् रिम उठकर खड़ा हो गया। नीच तान्त्रिक तूने मुझे जगाया अब तेरा अन्त आ गया है। SAJSS हिम - M NMAN - - SMN MULNMAL AaWS क्षमा, स्वामी! क्षमा, मुझे माफ कर वैताल ने तान्त्रिक की एक नहीं सुनी. उसे पकड़कर | हवनकुण्ड की ओर उछाल दिया। बचाओ-बचाओ 12 ERED 112 aary.org Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार हवनकुण्ड में गिरते ही कुण्ड की अग्नि बुझ गई और तान्त्रिक का शरीर स्वर्ण के समान चमकने लगा। साम बैताल ने शिवकुमार से कहा हे युवक ! यह सब उस महामन्त्र का ही प्रभाव है जिसका जाप तुम मन ही मन कर रहे हो। उस महामन्त्र ने तुम्हारी प्राण रक्षा की है और तुम्हारी जगह यह दुष्ट अग्नि में जलकर सोने का बन गया। इस स्वर्णपुरुष को तुम ले जाओ) और व्यसन मुक्त होकर सदाचारी जीवन जीओ। L HINNAME यह कहकर बैताल अन्तर्ध्यान हो गया। | शिवकुमार! उस स्वर्ण पुरुष को लेकर वापस अपने घर आ गया। अब उसके जीवन में बहुत परिवर्तन आ गया था। वह अपने स्वार्थी और दुर्व्यसनी मित्रों से दूर रहकर सदाचारपूर्वक जीवन जीने लगा। नवकार मन्त्र पर उसकी अविचल श्रद्धदा हो गई। वह प्रतिदिन नवकार मन्त्र का स्मरण करने लगा। १७ Education International Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अग्नि बन गई जल नये महल की दीवार दिन भर में जितनी बनती, रात को ढह जाती थी। महल के चारों ओर रक्षक सैनिक नियुक्त थे वे भी इसका कारण नहीं बता पा रहे थे। दीवार का बनना और ढहना नित्य क्रम बन गया। यह घटना उस समय की है जब | राजगृह पर राजा बिम्बसार श्रेणिक का राज्य था। राजा श्रेणिक एक भव्य महल का निर्माण करवा रहे थे। यह महल उस युग की कला तथा संस्कृति का अद्भुत नमूना था। देश के प्रसिद्ध वास्तुकारों को महल के निर्माण का दायित्व सौंपा गया। शिल्पकार और कारीगर पत्थरों में नई जान डालने में जुटे हुये थे। परन्तु अचानक एक आश्चर्यजनक घटना घटने लगी। Jain Education.International www.ctulen 22000 TimrW R24 2 7 GR AA Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार राजा ने वैशाली के अनुभवी वास्तुकारों को बुलाया। उन्होंने बड़ी गहराई से उस स्थान की भूमि का निरीक्षण किया परन्तु उन्हें भी कोई कारण समझ में नहीं आया। महाराज! समझ में नहीं आता भूमि, मिट्टी आदि सभी ठीक है फिर भी दीवार बार- बार क्यों ढह रही है? bMAN राजा श्रेणिक ने इस समस्या का समाधान खोजने के लिये एक विशेष सभा का आयोजन किया। इस सभा में बड़े-बड़े वास्तुकार, तंत्र मंत्र शास्त्रों के ज्ञाता, ज्योतिषियों आदि ने भाग लिया। आप सभी अपने-अपने शास्त्र के अनुसार समझ कर बताइये आखिर क्या M ATLUT कारण है? महल की दीवारेंEEN रात में अचानक क्यों ढह पड़ती हैं? För Private & Personal Use Only Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार राजा का अनुरोध सुनकर सभा में उपस्थित सभी व्यक्ति इस विषय पर आपस में चर्चा करने लगे। गंभीर विचार विमर्श के बाद अन्त में सबने मिलकर एक निष्कर्ष निकाला। महाराज! दीवार का गिरना घोर OL अशुभ सूचक है। इसका मतलब यह है कि सत्ताधारी शासक की जान पर एवं राज्य पर खतरा मंडरा रहा है। यह सुनकर रामा श्रेणिक और भी चिन्तित हो गये। उन्होंने कहा आप सब मिलकर इसका कोई उपाय TTA खोजिए। तब पंडितों एवं तांत्रिकों से सलाह करके राजपुरोहित ने निवेदन किया महाराज! इसके लिये यज्ञ ही सर्वोत्तम उपाय है। यदि शुभ लक्षणों से युक्त किसी कुमार की बलि दे दी जाय तो देवता प्रसन्न हो जायेंगे। तब दीवार भी नहीं गिरेगी और आने वाला अनिष्ट भी टल जायेगा। EMAN Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार यह सुनकर राजा श्रेणिक विचार मे पड़ गये। वह बोले पुरोहित जी! नर बलि तो बहुत ही कठिन कार्य है। फिर ऐसे कुमार को कहाँ ढूँढा जायेगा, और अगर मिल भी गया तो क्या पुत्र की बलि के लिये उसके माता पिता राजी हो जायेंगे XoloESO राजन्! हताश न होईये। आप राज्य में यह घोषणा करवा दीजिये कि जो कोई व्यक्ति अपने शुभ लक्षणों वाले पुत्र को बलि के लिये समर्पित करेगा उसे, पुत्र के वजन के बराबर तोलकर स्वर्ण दिया जायेगा। C009 200 OOOOO राजा श्रेणिक को पुरोहित की बात समझ में आ गई। उन्होंने तत्काल मन्त्री को बुलवाकर शम्य में घोषणा करवाने का आदेश दिया। Total राज गिरी के निवासियो! ध्यान से सुनो हमारे महाराज एक विशाल यज्ञ करवा रहे हैं। उसकी अन्तिम आहुति के लिये जो माता-पिता अपने शुभ लक्षणों वाले पुत्र को समर्पित करेंगे उन्हें उस पुत्र के वजन के बराबर तोलकर, स्वर्ण दिया जायेगा।........ । Jan Education International Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार रामा की यह घोषणा एक गरीब ब्राह्मण ऋषभदत्त | ऐसा सोचकर भद्रा ने अपने सबसे छोटे पुत्र की पत्नी भद्रा ने भी सुनी। उसने सोचा अमर कुमार को राजा को समर्पित करके सोना हमारा जीवन अभावोंस लेने का निश्चय कर लिया। उसने राम की अग्नि में जल रहा है। मेरे छ: कर्मचारियों से कहापुत्र हैं यदि मैं उनमें से एक पुत्र की बलि दे दूँ तो क्या फर्क पड़ेगा(सुनो! मैं अपना पुत्र राजा हमारे सारे अभाव दूर हो जायेंगे || को सौंपने के लिये तैयार हूँ बाकी सब सुखी हो जायेंगे। आप मेरे साथ घर चलिये मैं वहाँ अपना पुत्र आपके । सुपुर्द कर दूंगी। राज कर्मचारी भद्रा के साथ उसके घर अमर | परन्तु भद्रा ने इसका उत्तर नहीं दिया। एक कुमार को लेने पहुंच गये। अमर ने उन्हें| सैनिक बोलादेखा तो अपनी माँ से पूछा तुम्हारी माँ ने तुम्हें बलि के लिये हमारे राजा के (माँ राजा के सैनिक हाथों बेच दिया है। यहाँ क्यों आये हैं? हम तुम्हें लेने आये हैं। Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ यह सुनकर अमर की आँखों में डर से आंसू आ गये। वह अपनी माँ से बोला माँ! ये तुमने क्या किया मुझे मृत्यु से बहुत भय लगता हैं। मुझे मत बेचो | मैं जीवन भर तुम्हें कमाकर खिलाऊँगा। तेरी सेवा करूँगा। णमोकार मंत्र के चमत्कार LOCHU मेरी रक्षा कीजिये मुझे बलि के लिए मत भेजिये। मुझे बचाओ। परन्तु भद्रा ने अपना मुँह दूसरी तरफ कर लिया अमर कुमार उसके पैरों से लिपट कर रोने लगा। सैनिक अमर कुमार को घसीटते हुये ले जाने लगे। अमर रो-रोकर अपने परिवार वालों और नगर के व्यक्तियों से अपनी जान बचाने के लिये पुकार करने लगा। यह ऐसे नहीं जायेगा, इसे पकड़कर यहाँ से ले चलो। WEL Med Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार | कर्मचारियों ने अमर को राज सभा में लाकर खड़ा कर दिया। पुरोहित ने उसकी सभी दृष्टियों से परीक्षा की और कहा अमर कुमार ने अपनी जान बचाने का एक आखिरी प्रयास किया। उसने राजा से कहा पुरोहित की स्वीकृति मिलने पर खँजाची ने अमर कुमार के भार के बराबर स्वर्ण मुद्रायें उसकी माता भद्रा को दे दीं। महाराज! मुझे किस अपराध को दण्ड दिया जा रहा है ? बिना अपराध मेरे प्राण क्यों लिये जा रहे हैं? क्या यही आपका न्याय है ? Caddy's हाँ, यह किशोर बत्तीस लक्षणों से सम्पन्न है और आहूति के सर्वथा योग्य है। श्रेणिक इसका कोई जवाब न दे सके। तब पुरोहित ने अमर से कहा कुमार! यह दण्ड नहीं, अपितु तुम्हें स्वर्ग भेजने का उपक्रम है। और जहाँ तक न्याय का प्रश्न है, खरीदी हुई वस्तु पर स्वामी का अधिकार है। वह उसे सुरक्षित रखे अथवा नष्ट करे। Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार परोहित के आदेश पर राज सेवक अमर को स्नान चन्दन विलेपन आदि करके बलि के लिये तैयार करने ले गये। माँ, बाप, नगर निवासी सबने मेरा साथ छोड़ दिया। अब मेरी मृत्यु निश्चित है। अमर अब पूरी तरह निराश हो चुका था। घोर निराशा के क्षणों में उसके मस्तिष्क में बिजली सी | कौंधी। उसे गुरु के शब्द याद आये जो उसने नवकार मन्त्र सिखाने के बाद कहे थे। अमर! यह नवकार मन्त्र अत्यन्त शक्तिशाली है। इसके मरण मात्र से सभी संकट दूर हो जाते हैं। यदि कभी कोई घोर विपदा आये तो इस मन्त्र को याद कर लेना... गुरु के वचन उसके कानों में गूंजने लगे। णमो अरिहंताणं णमो सिद्भाणं णमो उवण्झा णमो आयरियाणं णमो लोए सव्व साहूर्ण For Private 21ersonal Use Only Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार चारों तरफ से निराश अमर नवकार मन्त्र का। |इधर राज सेवकों ने अमर को तैयार करके वेदी सहारा पाकर एक दम भय मुक्त हो गया। वह || पर बिठा दिया। पुरोहित ने मन्त्र पढ़कर कुण्ड में तन्मय भाव से श्रद्धा के साथ नवकार मन्त्र का अग्नि प्रज्वलित कर दी। माप करने लगा। णमो अरिहताणता Vणमो सिद्भाणं णमो आयरियाणं णमो उवम्झायाणं णमो लोए सव्व साहूणं S18 WIMMIT तभी एक चमत्कार हुआ। वेदी की एक लपट उठकर अचानक शान्त हो गई। मंत्रपाठी पुरोहित ने दुबारा घी डालकर अग्नि प्रज्वलित करने का प्रयास किया तो उसके हाथ ऊपर के ऊपर उठे रह गये। पंडितों के मुंह पूरब से पश्चिम की तरफ घूम गये। एक दिव्य सिंहासन प्रकट हुआ। अमर कुमार उस दिव्य सिंहासन पर बैठा हुआ दिखाई देने लगा। आश्चर्य! घोर आश्चर्य!! यह बालक अवश्य ही। कोई देव पुरुष है। WWLLULLLLLLLLLLL Jaio Education International For Priva22 Personal Use Only Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार यह घटना देखकर राजा श्रेणिक और उसके दरबारी स्तब्ध रह गये/राजा श्रेणिक अमर कुमार के चरणों में गिर पड़े और दीन स्वर में बोले हे कुमार! मेरी भूल को क्षमा कर दीजिए। आज से आप इस राज्य के स्वामी हैं, और मैं आपका दास हूँ। Arantertai.mamtemaANOEDDC अमर कुमार ने राजा श्रेणिक से कहा हे राजन् ! इस संसार में कोई किसी का नहीं है। माँ, बाप, भाई और राजा भी अपने-अपने स्वार्थ में डूबे हैं। मैंने देख लिया, निस्वार्थ रक्षक तो एक पंचपरमेष्ठी मंत्र है, मैं अब उसी की शरण में जाऊँगा.... LWALLLLLLLLLIALLL For Prive 23 Personal Use Only Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार राजा श्रेणिक अमर कुमार से बोले राजा श्रेणिक ने तुरंत अपने राजपुरोहित, मंत्री कुमार ! आपने किस मंत्र का पाठ आदि को आदेश दियाकिया जिससे अग्निदेवता भी शान्त हो गये? हमारा महल जितना बनता है रात में उतना गिर जाता है, इसका भी कोई उपाय बताइएमा महाराज ! मेटे गुरू ने बताया है कि संसार में पंचपरमेष्ठी कुमार का मंत्र से बड़ा और कोई मंत्र कथन सत्य है। नहीं है इसके स्मरण से सभी आज ही पंचपरमेष्ठी संकट टलते हैं। आप भी मंत्र सोने के पतरों पर विश्वास रखकर आजमाइए लिखकर राजमहल के मुख्य द्वार पर स्थापित किया जाय। यह कहकर अमर कुमार अपने गुरु की खोज में चल दिया। SHOOBS LCOOOOOOOOOOOO नमो अरिहंताणं नमो सिद्भाणं नमो आयरियाणं नमो उवण्झायाण नमो लोए सव्व साहूण AAD और उस रात के बाद शुन्दर राजमहल के निर्माण में कोई विघ्न नहीं आया। For Private 82 Sunal Use Only समाप्त Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार यह कथा नहीं एक सच्ची घटना है। गुजरात के जामनगर जिले में गुलाब चन्द भाई नामक एक शिक्षक रहते हैं। उन्होंने अपने जीवन में नवकार मन्त्र का साक्षात् चमत्कार अनुभव किया है। जीवन-दान एक दिन कक्षा में पढ़ाते-पढ़ाते अचानक गुलाब चन्द भाई के सिर में बहुत तेज दर्द उठा। ओह ! यह दर्द मेरी जान ले लेगा। मुझे डाक्टर को दिखाना चाहिए। GAL स्कूल से आने के बाद शाम को गुलाब चन्द भाई अपने फैमिली डाक्टर कपूर के पास गये। "डाक्टर साहब मेरे सिर में कभी-कभी बहुत तेज दर्द होता है। जी घबराता है, और ऐसा लगता है मानो दम ही, निकल जायेगा। डाक्टर ने उनकी जाँच की परन्तु कोई खास कारण समझ में न आया ।। मैं आपको कुछ दवाइयाँ दे रहा हूँ, आराम मिल जायेगा अगर फिर दर्द हो तो मुझे बताना । 25 Lancia Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दो दिन बाद गुलाब चन्द भाई को फिर तेज सिर दर्द हुआ। इस बार सिर दर्द के साथ उनके गले में सूजन आनी चालू हो गई। णमोकार मंत्र के चमत्कार मुझे फिर डाक्टर के पास जाना चाहिए और पूरी गहराई तक जाँच करानी होगी। गुलाब चन्द भाई यह सुनकर बुरी तरह घबरा गये। घबराइये नहीं! फिलहाल यह पेनिसिलीन का कोर्स कर लीजिये इससे आराम पड़ जायेगा। LATUR गुलाब चन्द भाई डाक्टर कपूर के पास पहुँचे इस बार डाक्टर कपूर ने उनकी विस्तृत जाँच करके निदान निकाला। गुलाब भाई आपको तो) कैंसर है। Vera गुलाब चन्द भाई डाक्टर की दी हुई दवाइयाँ लेकर घर आ गये। उनके उतरे हुए चेहरे को देखकर पत्नी ने पूछा तो उन्होंने बताया। डाक्टर ने कैंसर बताया है। दवाईयाँ दी हैं कुछ दिन में) ठीक हो जायेगा। 'क्या? कैंसर? यह सुनकर सबके चेहरों पर सन्नाटा सा छा Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार कुछ ही दिनों में गुलाबचन्द भाई की दशा और खराब हो गई। गले में अन्दर ही अन्दर बहुत सूजन आ गई। खाने और निगलने में परेशानी होने लगी। दवाई भी असर न दिखा सकी। हे भगवान ! यह तूने किस पाप की सजा दी है, ये न कुछ खा पा रहे हैं न पानी ठीक से पीया जा रहा है। ZOOD गुलाब चन्द भाई के फैमिली डाक्टर कपूर उनकी बिगड़ती दशा को देखकर इलाज के लिए बम्बई। ले गये। वहाँ टाटा मैमोरियल अस्पताल में कैंसर विशेषज्ञ डॉ. मोदी को दिखाया। डॉ. मोदी ने उनकी सभी जाँच पड़ताल की। HBYगुलाबचन्द भाई, आपको गले और जीभ का कैंसर है।आपकी) FAR N बीमारी आखिरी स्टेज पर है। स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि जाँच के लिए अन्दर से टुकड़ा लेकर भी बायप्सी भी नहीं/ HEN की जा सकती है। इलाज के लिए तो सोचना भी व्यर्थ है। anternational Personal use only wwwijainelibrary.org Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार गुलाब चन्द भाई डॉक्टर से बोले कपूर साहब, आप जरा) मेरे साथ बाहर आइये। डाक्टर साहब मैंने दो दिन से पानी भी नहीं पिया है। कृपया किसी तरह मुझे पानी पिलवा दें। मुझसे अब प्यासा नहीं रहा माता। आप किसी तरह आज की रात निकाल लें, कल मैं नली से आपके पेट में पानी पहुंचा दूंगा। ETAREETE : AN मरीज की बीमारी इस हद तक बढ़ चुकी है कि यह एक-दो दिन का ही मेहमान है। शान्ति से इनके प्राण निकल सकें, इसके लिए कुछ नशे के इंजेक्शन दे दीजिये। डॉ. कपूर वापिस कमरे में आकर बोले HURREER गुलाब चन्द भाई आइये वापस घर चलें। हम कोशिश करते हैं, किन्तु कुछ भी कह नहीं सकते ईश्वर की जैसी इच्छा? 4 :17. MALS For Private & Sersonal Use Only Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार गुलाब चन्द भाई घर वापस आ गयो जीवन की तरफ से वह निराश हो चुके थे। बार-बार उनके मन में एक विचार आने लगा शायद आज की रात मेरी जीवन यात्रा की अन्तिम रात है। ४. यह सोच-सोच कर उनके मन में धीरे-धीरे निराशा का अंधकार भरता जा रहा था। उस समय सन्ध्या के साढ़े सात बजे थे गुलाब चन्द भाई ने अपने सभी परिवारवालों को अपने पास बुलाया खमत खामणा की। a education International जब मनुष्य का पुरुषार्थ थक जाता है। सांसारिक सहारे टूट जाते हैं तो वह धर्म की और मुड़ता है। मेरा अन्तिम समय निकट है। मैंने अगर जिन्दगी में कभी आपका दिल दुखाया हो तो मुझे माफ कर देना । अब मैं अपना अन्तिम समय नवकार मन्त्र का जाप करते गुजारना चाहता हूँ। 29 क्यों न मैं अपने आखिरी समय में नवकार मन्त्र का स्मरण करूँ। और सद्धगति प्राप्त करूँ। 8 Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार उसके बाद वह कमरा बन्द करके नवकार । मन्त्र की साधना में तल्लीन हो गये। नववार मन में चित्त एकाग्र होने से गले की पीड़ा की अनुभूति धीरे-धीरे कम होती चली गई अन्य इच्छायें समाप्त हो गई। सिर्फ एक ही इच्छा थी मद्गति प्राप्त हो। FAGO LONDODJA DILE णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं णमो उवम्झायाणं णमो लोए सव्व साहूणं रात के ग्यारह बजे लगभग मन्त्र जाप करते-करते उन्हें जोरदार बमन हुआ। अत्यधिक कमजोरी रवटके कारण गुलाब चन्द भाई मूर्छित होकर फर्श पर गिर पड़े। AON आवाज सुनकर परिवार वाले उनके पास पहुँचे तो गुलाब चन्द भाई को बेहोश देखकर घर में रोना-पीटना शुरू हो गया। हे भगवान! तुमने VEER पापा, पापा। हमारा सहारा छीन लिया। D 30 Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुछ देर बाद गुलाब चन्द भाई की बेहोशी टूट गई। होश आने पर उन्हें अपनी तबियत में हल्कापन महसूस होने लगा। वे बोले पानी लाओ मुझे प्यास लगी है। www Jain Education Infes णमोकार मंत्र के चमत्कार कहाँ सन्ध्या तक एक घूँट पानी न पी सकने वाले व्यक्ति को पूरा लोटा पानी पीता देखकर परिवारवालों में आशा की एक किरण चमकी। उन्हें गुलाब चन्द भाई के चेहरे पर जिन्दगी की चमक दिखाई दी। माँ ने पूछा SAN उनका लड़का दौड़कर पानी ले आया। गुलाब चन्द भाई ने पूरा लोटा भरकर पानी पी लिया। बेटा ! थोड़ा दूध पी ले। PREND दूध पीकर गुलाब चन्द भाई गहरी नींद में सो गये सुबह उठे एक लोटा पानी और लाओ। 31 (०३३१ Pulsate & Personal use only ले आइये पीने की कोशिश करूँगा। मुझे अपने अन्दर एक नई स्फुर्ति का अनुभव हो रहा है। Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार हुआ यह कि अनन्य भावपूर्वक नवकार मन्त्र के जप ने अपना प्रभाव दिखाया। कैंसर के विषैले कीटाणु और विषाक्त रक्त वमन के रास्ते बाहर निकल गया। और वे स्वस्थता अनुभव करने लगे। चार-पाँच दिनों में गुलाब चन्द भाई की तबियत में बहुत तेजी से सुधार आया। अब आराम से भोजन आदि करने लगे। कुछ दिन बाद गुलाब चन्द भाई डॉ. कपूर के पास गये। डॉ. कपूर ने उनकी जाँच की तो उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ। गुलाब भाई आपने कौन-सी दवा ली। आपके शरीर में तो अब कैंसर का अंश भी नजर नहीं आ रहा। (साभार- तीर्थंकर नवम्बर - दिसम्बर, १९८०) डॉक्टर साहब मैंने तो बस नवकार मन्त्र का जाप किया था यह सब उसी का प्रताप है। अब मुझे किसी भी प्रकार की तकलीफ, नहीं है। मैं आराम से अपना जीवन बिता रहा हूँ । 32 समाप्त Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रावक के बारह अणुव्रत व्रत किसे कहते हैं ? ____व्रत का अर्थ है किसी महती धारणा की स्वीकृति । इस स्वीकृति को पूर्ण रूप से निभाना 'महाव्रत' है| और आंशिक रूप से निभाना 'अणुव्रत' है। (१) अहिंसा अणुव्रत : चलते-फिरते निरपराध प्राणी को जान बूझकर नहीं मारना (२) सत्य अणुव्रत : किसी निर्दोष प्राणी की हिंसा हो या वह कष्ट में फंस जाये, वैसा असत्य नहीं बोलना (३) अस्तेय अणुव्रत : जिस चोरी से राज्य-दण्ड मिले, लोग निन्दा करे, ऐसी चोरी का त्याग (४) ब्रह्मचर्य अणुव्रत : कामुकता का त्याग करना, स्व-पत्नी-भोग की मर्यादा करना (५) अपरिग्रह अणुव्रत : सोना, चांदी, मकान, धन आदि परिग्रह की मर्यादा करना (६) दिशा परिमाण व्रत : पूर्व, पश्चिम आदि दिशाओं की सीमा बाँधकर उसके बाहर हर तरह के पाप कार्य का त्याग करना (७) भोगोपभोग परिमाण व्रत : अति हिंसक व्यापार तथा भोजन, वस्त्र एवं उपयोग में लाने योग्य वस्तुओं की मर्यादा करना (२) अनर्थदण्डविरतिव्रत : बिना प्रयोजन हिंसा, झूठ की प्रवृत्ति नहीं करना (E) सामायिक व्रत : ४८ मिनिट पाप क्रिया का त्याग कर स्वभाव में स्थिर होने का अनुष्ठान करना (१०) देशावकाशिक व्रत : निश्चित समय के लिये ग्रहण किये हुए पूर्वोक्त व्रतों को और भी संकुचित करना, द्रव्यों की मर्यादा करना। (११) पौषधव्रत : एक दिन-रात (८ प्रहर) के लिये अन्न-जल का त्याग कर, पाप युक्त कोई भी सांसारिक प्रवृति नहीं करना (१२) अतिथिसंविभाग व्रत : साधु-साध्वी को कल्पनीय शुद्ध दान देने की भावना रखना विशेष जानकारी 0 गृहस्थ में रहकर भी आप इन १२ व्रतों को स्वीकार कर धर्म की आराधना कर सकते हैं। कुछ अंशों में की गई आत्म-साधना भी आपके जीवन को सही दिशा की ओर मोड देती है। 0 इन व्रतों को ग्रहण करने से धर्म की दृष्टि से कर्म-निर्जरा तो होती ही है, साथ ही समाज एवं राष्ट्र को भी बहुत फायदा है। उक्त १२ व्रतों को ग्रहण करने वाला 'श्रावक' कहा जाता है। Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैनधर्म के प्रसिद्ध विषयों पर आधारित रंगीन सचित्र कथाएं: दिवाकर चित्रकथा जैनधर्म, संस्कृति, इतिहास और आचार-विचार से सीधा सम्पर्क बनाने का एक सरलतम, सहज माध्यम। मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञानवर्द्धक, संस्कार-शोधक, रोचक सचित्र कहानियाँ। 055 पुस्तकों के सैट का मूल्य 1100.00 रुपया। 33 पुस्तकों के सैट का मूल्य : 640.00 रुपया। - क्षमादान भगवान ऋषभदेव णमोकार मन्त्र के चमत्कार चिन्तामणि प्रसिद्ध कड़ियाँ पार्श्वनाथ / भगवान महावीर की बोध कथायें बुद्धिनिधान अभयकुमार शान्ति अवतार शान्तिनाथ किस्मत का धनी धन्ना - करुणानिधान भगवान महावीर राजकुमारी चन्दनबाला - सती मदनरेखा / सिद्धचक्र का चमत्कार 9 मेघकुमार की आत्मकथा / युवायोगी जम्बुकुमार राजकुमार श्रेणिक / भगवान मल्लीनाथ - महासती अंजनासुन्दरी - करनी का फल (ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती) भगवान नेमिनाथ - भाग्य का खेल - करकण्डू जाग गया / जगत् गुरु हीरविजय सूरि 0 वचन का तीर - अजातशत्रु कूणिक - पिंजरे का पंछी / धरती पर स्वर्ग नन्द मणिकार कर भला हो भला तृष्णा का जाल / पाँच रत्न। प्रत्येक पुस्तक का मूल्य : 20/ जमोकार जब भगवान महावीही दकिमानिया चमत्कार जषभदेव बुद्धिजिगनी अभयवन्तजार -मलीना मा चन्दनवाला रासायट चित्रकथाएँ गंगाने के लिए अंदर दिये गये सदस्यता फॉर्म को भरकर भेजें।