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________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार चारों तरफ से निराश अमर नवकार मन्त्र का। |इधर राज सेवकों ने अमर को तैयार करके वेदी सहारा पाकर एक दम भय मुक्त हो गया। वह || पर बिठा दिया। पुरोहित ने मन्त्र पढ़कर कुण्ड में तन्मय भाव से श्रद्धा के साथ नवकार मन्त्र का अग्नि प्रज्वलित कर दी। माप करने लगा। णमो अरिहताणता Vणमो सिद्भाणं णमो आयरियाणं णमो उवम्झायाणं णमो लोए सव्व साहूणं S18 WIMMIT तभी एक चमत्कार हुआ। वेदी की एक लपट उठकर अचानक शान्त हो गई। मंत्रपाठी पुरोहित ने दुबारा घी डालकर अग्नि प्रज्वलित करने का प्रयास किया तो उसके हाथ ऊपर के ऊपर उठे रह गये। पंडितों के मुंह पूरब से पश्चिम की तरफ घूम गये। एक दिव्य सिंहासन प्रकट हुआ। अमर कुमार उस दिव्य सिंहासन पर बैठा हुआ दिखाई देने लगा। आश्चर्य! घोर आश्चर्य!! यह बालक अवश्य ही। कोई देव पुरुष है। WWLLULLLLLLLLLLL Jaio Education International For Priva22 Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002803
Book TitleNavkar ke Chamatkar Diwakar Chitrakatha 003
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishalmuni, Shreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Children, & Story
File Size24 MB
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