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________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार | कर्मचारियों ने अमर को राज सभा में लाकर खड़ा कर दिया। पुरोहित ने उसकी सभी दृष्टियों से परीक्षा की और कहा अमर कुमार ने अपनी जान बचाने का एक आखिरी प्रयास किया। उसने राजा से कहा पुरोहित की स्वीकृति मिलने पर खँजाची ने अमर कुमार के भार के बराबर स्वर्ण मुद्रायें उसकी माता भद्रा को दे दीं। महाराज! मुझे किस अपराध को दण्ड दिया जा रहा है ? बिना अपराध मेरे प्राण क्यों लिये जा रहे हैं? क्या यही आपका न्याय है ? Caddy's Jain Education International हाँ, यह किशोर बत्तीस लक्षणों से सम्पन्न है और आहूति के सर्वथा योग्य है। श्रेणिक इसका कोई जवाब न दे सके। तब पुरोहित ने अमर से कहा कुमार! यह दण्ड नहीं, अपितु तुम्हें स्वर्ग भेजने का उपक्रम है। और जहाँ तक न्याय का प्रश्न है, खरीदी हुई वस्तु पर स्वामी का अधिकार है। वह उसे सुरक्षित रखे अथवा नष्ट करे। For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002803
Book TitleNavkar ke Chamatkar Diwakar Chitrakatha 003
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishalmuni, Shreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Children, & Story
File Size24 MB
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