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यह सुनकर अमर की आँखों में डर से आंसू आ गये। वह अपनी माँ से बोला
माँ! ये तुमने क्या किया मुझे मृत्यु से बहुत भय लगता हैं। मुझे मत बेचो | मैं जीवन भर तुम्हें कमाकर खिलाऊँगा। तेरी सेवा करूँगा।
णमोकार मंत्र के चमत्कार
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मेरी रक्षा कीजिये मुझे बलि के लिए मत भेजिये। मुझे बचाओ।
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परन्तु भद्रा ने अपना मुँह दूसरी तरफ कर लिया अमर कुमार उसके पैरों से लिपट कर रोने लगा।
सैनिक अमर कुमार को घसीटते हुये ले जाने लगे। अमर रो-रोकर अपने परिवार वालों और नगर के व्यक्तियों से अपनी जान बचाने के लिये पुकार करने लगा।
यह ऐसे नहीं जायेगा, इसे
पकड़कर यहाँ से ले चलो।
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