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________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार अन्दर ही अन्दर की पीड़ा से यशोधर दिनोंदिन कमजोर होता गया। एक रात उसकी हालत बहुत खराब हो गई। उसने शिवकुमार को अपने पास बुलाया। बेटा ! अब मेरा अन्तिम समय आ गया तू मेरी एक बात मान ले। ये पंच परमेष्ठी नवकार मन्त्र याद कर ले। तेरे ऊपर जब भी कोई भयानक संकट आ जाय तो इसे हृदय से स्मरण कर लेना, तेरा संकट टल जायेगा। THAN MODOH शिवकुमार को नवकार महामन्त्र पर कोई विश्वास नहीं था। परन्तु पिता की आखिरी इच्छा जानकर उसने मन्त्र को याद कर लिया। कुछ ही देर बाद यशोधर की मृत्यु हो गई। ओह ! पिताजी चल बसे। माँ को तुरन्त खबर . करनी चाहिये। हे भगवान् ! यह क्या हुआ ? पति की मृत्यु से सेठानी शिवा के हृदय को ऐसा गहरा धक्का लगा वह भी बेहोश होकर गिर पड़ी यो फिर कभी उठ नहीं सकी। Jain Educatio For Private & Personal Use Only
SR No.002803
Book TitleNavkar ke Chamatkar Diwakar Chitrakatha 003
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishalmuni, Shreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Children, & Story
File Size24 MB
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