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श्रावक के बारह अणुव्रत
व्रत किसे कहते हैं ? ____व्रत का अर्थ है किसी महती धारणा की स्वीकृति । इस स्वीकृति को पूर्ण रूप से निभाना 'महाव्रत' है|
और आंशिक रूप से निभाना 'अणुव्रत' है। (१) अहिंसा अणुव्रत : चलते-फिरते निरपराध प्राणी को जान बूझकर नहीं मारना (२) सत्य अणुव्रत : किसी निर्दोष प्राणी की हिंसा हो या वह कष्ट में फंस जाये, वैसा असत्य
नहीं बोलना (३) अस्तेय अणुव्रत : जिस चोरी से राज्य-दण्ड मिले, लोग निन्दा करे, ऐसी चोरी का त्याग (४) ब्रह्मचर्य अणुव्रत : कामुकता का त्याग करना, स्व-पत्नी-भोग की मर्यादा करना (५) अपरिग्रह अणुव्रत : सोना, चांदी, मकान, धन आदि परिग्रह की मर्यादा करना (६) दिशा परिमाण व्रत : पूर्व, पश्चिम आदि दिशाओं की सीमा बाँधकर उसके बाहर हर तरह के
पाप कार्य का त्याग करना (७) भोगोपभोग परिमाण व्रत : अति हिंसक व्यापार तथा भोजन, वस्त्र एवं उपयोग में लाने योग्य वस्तुओं
की मर्यादा करना (२) अनर्थदण्डविरतिव्रत : बिना प्रयोजन हिंसा, झूठ की प्रवृत्ति नहीं करना (E) सामायिक व्रत : ४८ मिनिट पाप क्रिया का त्याग कर स्वभाव में स्थिर होने का अनुष्ठान
करना (१०) देशावकाशिक व्रत : निश्चित समय के लिये ग्रहण किये हुए पूर्वोक्त व्रतों को और भी संकुचित
करना, द्रव्यों की मर्यादा करना। (११) पौषधव्रत : एक दिन-रात (८ प्रहर) के लिये अन्न-जल का त्याग कर, पाप युक्त
कोई भी सांसारिक प्रवृति नहीं करना (१२) अतिथिसंविभाग व्रत : साधु-साध्वी को कल्पनीय शुद्ध दान देने की भावना रखना
विशेष जानकारी 0 गृहस्थ में रहकर भी आप इन १२ व्रतों को स्वीकार कर धर्म की आराधना कर सकते हैं। कुछ अंशों
में की गई आत्म-साधना भी आपके जीवन को सही दिशा की ओर मोड देती है। 0 इन व्रतों को ग्रहण करने से धर्म की दृष्टि से कर्म-निर्जरा तो होती ही है, साथ ही समाज एवं राष्ट्र
को भी बहुत फायदा है। उक्त १२ व्रतों को ग्रहण करने वाला 'श्रावक' कहा जाता है।
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