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________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार प्रारम्भ में माता-पिता ने उसे बाल-लीलाएं समझकर ध्यान नहीं दिया। कभी माँ कुछ कहती तो पिता अपने पुत्र का पक्ष ले लेते। पिता बिगड़ते तो माँ अपने आँचल में पुत्र को छुपा लेती। एक ही तो पुत्र है बड़ी मनौतियों के बाद इसका मुँह देखा है। आप क्यों रात-दिन इसके पीछे पड़े रहते हैं? INIST COUR इस दोहरे लाड़-प्यार से शिवकुमार बिगड़ने यशोधर अपने पुत्र को तुरन्त छुड़ाकर लगा। एक दिन-1 ले आया और समझाया। सेठमी! आपका पुत्र जुआ बेटा! तुम जो कार्य कर खेलता पकड़ा गया है। रामा के । रहे हो वह उचित नहीं सिपाही उसे पकड़कर ले गये हैं।। है। ये दुर्व्यसन तुम्हें बरबाद कर देंगे। पिताजी! द्यूत-क्रीड़ा से मैं तो सिर्फ अपना मनोरंजन कर रहा था। आप व्यर्थ ही आसमान सिर पर उठा रहे हो? इस तरह शिवकुमार अपनी मन-मी करने लगा। माँ-बाप कुछ नहीं कर सके। REPE For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002803
Book TitleNavkar ke Chamatkar Diwakar Chitrakatha 003
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishalmuni, Shreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Children, & Story
File Size24 MB
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