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णमोकार मंत्र के चमत्कार गुलाब चन्द भाई घर वापस आ गयो जीवन की तरफ से वह निराश हो चुके थे। बार-बार उनके मन में एक विचार आने लगा
शायद आज की रात मेरी जीवन यात्रा की अन्तिम रात है।
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यह सोच-सोच कर उनके मन में धीरे-धीरे निराशा का अंधकार भरता जा रहा था।
उस समय सन्ध्या के साढ़े सात बजे थे गुलाब चन्द भाई ने अपने सभी परिवारवालों को अपने पास बुलाया खमत खामणा की।
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जब मनुष्य का पुरुषार्थ थक जाता है। सांसारिक सहारे टूट जाते हैं तो वह धर्म की और मुड़ता है।
मेरा अन्तिम समय निकट है। मैंने अगर जिन्दगी में कभी आपका दिल दुखाया हो तो मुझे माफ कर देना । अब मैं अपना अन्तिम समय नवकार मन्त्र का जाप करते गुजारना चाहता हूँ।
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क्यों न मैं अपने आखिरी समय में नवकार मन्त्र का स्मरण करूँ। और सद्धगति प्राप्त करूँ।
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