Book Title: Navkar ke Chamatkar Diwakar Chitrakatha 003
Author(s): Vishalmuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 15
________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार हवनकुण्ड में गिरते ही कुण्ड की अग्नि बुझ गई और तान्त्रिक का शरीर स्वर्ण के समान चमकने लगा। साम बैताल ने शिवकुमार से कहा हे युवक ! यह सब उस महामन्त्र का ही प्रभाव है जिसका जाप तुम मन ही मन कर रहे हो। उस महामन्त्र ने तुम्हारी प्राण रक्षा की है और तुम्हारी जगह यह दुष्ट अग्नि में जलकर सोने का बन गया। इस स्वर्णपुरुष को तुम ले जाओ) और व्यसन मुक्त होकर सदाचारी जीवन जीओ। L HINNAME यह कहकर बैताल अन्तर्ध्यान हो गया। | शिवकुमार! उस स्वर्ण पुरुष को लेकर वापस अपने घर आ गया। अब उसके जीवन में बहुत परिवर्तन आ गया था। वह अपने स्वार्थी और दुर्व्यसनी मित्रों से दूर रहकर सदाचारपूर्वक जीवन जीने लगा। नवकार मन्त्र पर उसकी अविचल श्रद्धदा हो गई। वह प्रतिदिन नवकार मन्त्र का स्मरण करने लगा। १७ Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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