Book Title: Navkar ke Chamatkar Diwakar Chitrakatha 003 Author(s): Vishalmuni, Shreechand Surana Publisher: Diwakar Prakashan View full book textPage 9
________________ णमोकार मंत्र के चमत्कार माता-पिता की मृत्यु के बाद शिवकुमार बिलकुल अब तो शिवकुमार का सारा वक्त द्यूत खेलने, नाच स्वच्छन्द हो गया। उसके कुव्यसनी मतलबी देखने व मदिरापान में ही मित्र उसे सांत्वना देने आये। व्यतीत होने लगा। गम को छोड़ो मित्र! लो इस हार गये तो क्या हुआ? मदिरा के प्याले को पीने से तुम सब गमों को भूल जाओगे। दुबारा दाँव लगाओ। कभी तो जीतोगे? मित्रों के कहने में आकर शिवकुमार बुटी संगत में पड़ गया। चम्पा बाई का नाच, हार के) सब गमों को भुला देता है। वाह! वाह! पानी की तरह पैसा बहाने से धीरे-धीरे उसका सारा धन व्यसनो की भेंट चढ गया। पैसा खत्म हुआ तो मित्र भी किनारा कर गये शिवकुमार नितांत अकेला रह गया। धन भी खत्म हो गया। मित्र भी चले। गये। अब मुझे कहीं से धन एकत्रित करना चाहिए। SS धन-प्राप्ति के लिये वह इधर-उधर भटकने लगा। For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jan Education InternationalPage Navigation
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