Book Title: Navkar ke Chamatkar Diwakar Chitrakatha 003
Author(s): Vishalmuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 3
________________ 000090 NITION णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्व साहूणं TITIATION एसो पंच णमोकारो, सव्व पाव प्पणासणो मंगलाणं च सव्वेसिं पढम हवइ मंगल। SMARoRAROLOOTRAMOOMARA अरिहंतों को नमस्कार, सिद्रों को नमस्कार, आचार्यों को नमस्कार, उपाध्यायों को नमस्कार, संसार के सब साधुओं को नमस्कार! पवित्र आत्माओं को शुद्ध मन से किया गया यह नमस्कार सब पापों का नाश करने वाला है। यह संसार में सबसे उत्तम मंगल है। विश्व में लाखों व्यक्ति (जैन) इस महामंत्र का जप करते है। इसके पाँचों पदों के पैंतीस अक्षर हैं। इन अक्षरों में अदभुत मंत्र शक्ति छुपी है। शुद्ध भावों के साथ तन्मय होकर इनका मप (उच्चारण) करने से ध्वनि तरंगों के प्रकम्पन से अन्तःकरण में ऊर्जा का विस्फोट होता है। जिसके प्रभाव से हमारी अध्यात्मिक शक्तियाँ माग जाती हैं और शरीर के भिन्न-भिन्न चेतना केन्द्र शक्तिशाली एवं ज्योतिर्मय होकर रोग, शोक, भय, चिन्ता आदि को नष्ट कर देते हैं। यह मंत्र अशुभ ग्रहों की पीड़ा, भूत प्रेत हिंसक जीवों का उपद्रव, रोग तथा दुष्ट-घात आदि से रक्षा कवच की भाँति सदा रक्षा करता है। आरोग्य, सौभाग्य आदि अनेक प्रकार के भौतिक एवं अध्यात्मिक लाभ देने वाला यह महामन्त्र अक्षय शक्ति का स्रोत माना गया है। REDUE 1 Education International

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