Book Title: Navgrah Arishta Nivarak Vidhan
Author(s): Balmukund Digambardas Jain
Publisher: Digambar Jain Pustakalay
View full book text
________________ 9. नवग्रह अरिष्टनिवारक विधान लोभा अगर कपूर चंदन, लौंग चूरन लेइये। चिन्हि धूम विवर्जितम जिन चरन आगे खेइये // ॥विमल.॥ ॐ ह्रीं बुधग्रहारिष्टनिवारक श्रीअष्टजिनेभ्यो धूपं निर्वपामीति स्वाहा। कल्पपादक जिन श्रीफल, फल समूह चढ़ाईये। भक्ति भाव बढ़ाय करके, सरल श्रीफल लीजिये। ॥विमलनाथ.॥ ॐ ह्रीं बुधग्रहारिष्टनिवारक श्रीअष्टजिनेभ्यो फलं निर्वपामीति स्वाहा। शुभ सलिल चंदन सुमन, अक्षत क्षुधा हर चरु लीजिये। मणि दीप धूपक फल सहित, वसु द्रव्य अर्घ करीजिये। .... // विमलनाथ.॥ ॐ ह्रीं बुधग्रहारिष्टनिवारक श्रीअष्टजिनेभ्यो अर्घ निर्वपामीति स्वाहा। जल चंदनं आदिक दरब, पूजों वसु जिनराय। सोम्य ग्रह दूषण मिटे, पूरन अर्घ चढ़ाय॥ // विमलनाथ.॥ ॐ ह्रीं बुधग्रहारिष्टनिवारक श्रीअष्टजिनेभ्यो महाअर्घ निर्व. स्वाहा / ... . .जयमाला विमलनाथ जिन नमों, नमों जु अनन्तनाथ जिन। धर्मनाथ पुनि नमों, नमों शांति कर्ता तिन॥ कुन्थुनाथ पद वन्द, वन्दन हों अरहनाथ जिन। नमिय प्रणमि जिन पाय, पाय जिन वर्धमान जिमि॥ ..ये आठों जिनरायको, हाथजोड़ शिर धरत हों। सोम तनुज दुःख हरनको, मंगल आरति करत हों।

Page Navigation
1 ... 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52