Book Title: Navgrah Arishta Nivarak Vidhan
Author(s): Balmukund Digambardas Jain
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

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Page 30
________________ 28] . नवग्रह अरिष्टनिवारक विधान प्राणी उज्वल शशिसम लीजिये, एजी तंदुल कोट समान हो। प्राणी पांच पुज दे भावसों, अक्षय पद सुखदाय हो। प्राणी मुनिसुव्रत जिन पूजिये। ॐ ह्रीं शनि अरिष्टनिवारक श्री मुनिसुव्रत जिन पंचकल्याणक प्राप्ताय अक्षतं निर्वपामीति स्वाहा। प्राणी बेल चमेली केवडो, करनार कुमुद गुलाब हो। प्राणी केतकी दलसे पूजिये, तब कामबाण मिट जाय हो॥ प्राणी मुनिसुव्रत जिन पूजिये। ॐ ह्रीं शनि अरिष्टनिवारक श्री मुनिसुव्रत जिन पंचकल्याणक प्राप्ताय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा। प्राणी विंजन नाना भांतिके, एजी षट रस कर संयुक्त हो। प्राणी जिन पद पूजों भावसों,तब जाय क्षुधादिक रोग हो। प्राणी मुनिसुव्रत जिन पूजिये। ॐ ह्रीं शनि अरिष्टनिवारक श्री मुनिसुव्रत जिन पंचकल्याणक प्राप्ताय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा। प्राणी रतन जोत तम नासनी, कर दीपक कंचन थार हो। प्राणी जिन आरती कर भावसों, एजी भव आरत तम जायहो .प्राणी मुनिसुव्रत जिन पूजिये। ॐ ह्रीं शनि अरिष्टनिवारक श्री मुनिसुव्रत जिन पंचकल्याणक प्राप्ताय दीपं निर्वपामीति स्वाहा। प्राणी चंदन अगर कपूर ले सब खेवो पावक मांहि हो। प्राणी अष्ट करम जर क्षार हो, जिन पूजत सब सुख होय हो प्राणी मुनिसुव्रत जिन पूजिये। ॐ ह्रीं शनि अरिष्टनिवारक श्री मुनिसुव्रत जिन पंचकल्याणक प्राप्ताय धूपं निर्वपामीति स्वाहा।

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