Book Title: Navgrah Arishta Nivarak Vidhan
Author(s): Balmukund Digambardas Jain
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

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Page 32
________________ 30] नवग्रह अरिष्टनिवारक विधान जय जय पद्मावती गर्भ आय, साबन वदी दुतिया हर्षदाय॥ जय जय सुमित्र घर जन्म लीन, वैशाख कृष्ण दशमी प्रवीन। जय जय दश अतिशय लसत काय, त्रयज्ञान सहित हित मित कहाय॥ जय जय तन लक्षण सहस आठ, . भवि जीवनमें थुतिकरन पाठ। जय जय सौधर्म सुरेश आय, जन्म कल्याणक करियो सु भाय॥ जय जय तप ले वैशाख मास, . सुदी दशमी कर्म कलंक नाश। जय जय वैशाख जो असित पक्ष, नौमी केवल लहि जग प्रत्यक्ष॥ जय जय रचियों तब समवसरन, सुर नर खग मुनिके चित्त हरन। जय छियालीस गुण सहित देव, शत इन्द्र आय तहां करत सेव॥ जय जय फागुन वदी द्वादशीय, . शिवनाथ वसे मुनि सिद्ध लीय। जय जय शनि पीडा हरन हेत, मनसुखसागर कर सुख निकेत॥ ॐ ह्रीं शनि अरिष्टनिवारक श्री मुनिसुव्रत जिन अनर्घपद प्राप्ताय निर्वपामीति स्वाहा।

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