________________ नवग्रह अरिष्टनिवारक विधान [ 29 प्राणी आम अनार पियूष फल, चौच मोच बादाम हो। प्राणी फलसों जिनपद पूजिये,एजी पावे शिव फलसार हो। प्राणी मुनिसुव्रत जिन पूजिये। ॐ ह्रीं शनि अरिष्टनिवारक श्री मुनिसुव्रत जिन पंचकल्याणक प्राप्ताय फलं निर्वपामीति स्वाहा। प्राणी निरादिक वसु द्रव्य ले मन वच काय लगाय हो। प्राणी अष्ट कर्मका नाश है एजी अष्टमहागुण पाय हो॥. प्राणी मुनिसुव्रत जिन पूजिये॥ ॐ ह्रीं शनि अरिष्टनिवारक श्री मुनिसुव्रत जिन पंचकल्याणक प्राप्ताय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा। . अडिल्ल छन्द जल चन्दन ले फूल और अक्षत घने। चरु दीपक बहु धूप महाफल सोहने॥ पूरण अर्घ बनाय जिन आगे हूजिये। . मुनिसुव्रत जिनराय भावसों पूजिये। ॐ ह्रीं शनि अरिष्टनिवारक श्री मुनिसुव्रत जिन पंचकल्याणक पूर्णार्धं निर्वपामीति स्वाहा। जयमाला (दोहा) मुनिसुव्रत सुव्रत करन, त्याग करन जगजाल। शनि ग्रह पीड़ा हरनको, पढ़ो हर्ष जयमाल॥ पद्धडी छन्द जय जय मुनिसुव्रत त्रिजगराय, शत इन्द्र आय माथा नमाय।