Book Title: Navgrah Arishta Nivarak Vidhan
Author(s): Balmukund Digambardas Jain
Publisher: Digambar Jain Pustakalay
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________________ नवग्रह अरिष्टनिवारक विधान 4i7 // नवग्रहोंके जाप्य ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं सूर्यग्रहारिष्टनिवारक श्री पद्मप्रभुजिनेन्द्राय नमः शांतिं कुरु कुरु स्वाहा // 7000 जाप्य // ॐ ह्रीं क्रौं श्रीं क्लीं चन्द्रारिष्टनिवारक श्री चन्द्रप्रभुजिनेन्द्राय नमः शांतिं कुरु कुरु स्वाहा // 11000 जाप्य // ___ॐ आँ क्रौं ह्रीं श्रीं क्लीं भौमारिष्टनिवारक श्री वासुपूज्य जिनेन्द्राय नमः शांतिं कुरु कुरु स्वाहा // 10000 जाप्य // __ॐ ह्रीं क्रौं आँ श्रीं बुधग्रहारिष्टनिवारक श्री विमल अनंतधर्मशांति कुन्थुअरह नमिवर्धमान अष्टजिनेन्द्रेभ्यो नमः शांति .. कुरु कुरु स्वाहा // 8000 जाप्य // - ॐ औं क्रौं ह्रीं श्रीं क्लीं एं गुरअरिष्टनिवारक ऋषभ अजित संभव अभिनंदन सुमति सुपार्श्व शीतल श्रेयांसनाथ अष्टजिनेंद्रेभ्यो नमः शांतिं कुरु कुरु स्वाहा // 19000 जाप्य // ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ह्रीं शुक्र अरिष्टनिवारक श्री पुष्पदन्तजिनेन्द्राय नमः शांतिं कुरु कुरु स्वाहा // 11000 जाप्य // __ॐ ह्रीं क्रौं ह्रः श्रीं शनिग्रहारिष्टनिवारकाय श्री मुनिसुव्रतनाथ जिनेन्द्राय नमः शांतिं कुरु कुरु स्वाहा // 23000 जाप्य // . __ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं हूं राहुग्रहारिष्टनिवारक श्री नेमिनाथ जिनेन्द्राय नमः शांतिं कुरु कुरु स्वाहा // 18000 जाप्य // ॐ ह्रीं क्लीं ऐं केतु अरिष्टनिवारक श्री मल्लिनाथजिनेन्द्राय नमः शांतिं कुरु कुरु स्वाहा // 7000 जाप्य // ... कुल जाप्य 1 लाख चौदह हजार हैं जो यथाशक्ति लोंगसे (लवंग) करना चाहिये। __ [ समाप्त ]

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