Book Title: Navgrah Arishta Nivarak Vidhan
Author(s): Balmukund Digambardas Jain
Publisher: Digambar Jain Pustakalay
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________________ पूजन व व्रतोद्यापनके लिये हस्तलिखित पक्के रंगीन मांडने मोटे कपडे पर इस प्रकार तैयार है। इसके हम सोल एजन्ट हैं। साईज 4 // 44 // फीट। पंचकल्याणक 500) तीस चौवीसी 550) समोशरण 550) तेरहद्वीप 750) इन्द्रध्वज 750) ढाईद्वीप 750) वर्तमान चौवीसी 500) नन्दीश्वर 500) जम्बूद्वीप 550) कर्मदहन 500) चौसठऋद्धि 550) दशलक्षण 500) नवग्रह 500) पंचपरमेष्ठी 500) सोलहकारण 500) रत्नत्रय 500) सुदर्शनमेरु वि. 500) तीन चौबीसी 500) पंचमेरु 500) भक्तामर 500) सिद्धचक्र 550) ऋषिमंडल 550) सहस्त्रनाम 550) शांति विधान 500) बीस विरहमान 500) तीनलोक विधान 2 // x2 गजका 750) सभी मांडने रंगीन व पक्के रंगके है। मंदिरोंमें कायम रखनेको अवश्य मंगाइये। मांडने मंगवानेवाले 300) एडवांस भेजें। एडवांस आनेपर ही मांडना भेजा जायेगा। भक्तामर रहस्य जिसमें मुगलकालीन 50 भाव चित्रोंसे सुसज्जित, ललित 48 यंत्रकृतियोंसे मंडित, संशोधित दिव्य यंत्रसे विभूषित, पौराणिक भव्य कथाओंसे अलंकृत भावार्थ, विवेचन, पूजन, विधान आदिसे समर्चित डिमाई साईझमें बढिया कागज पर मुद्रित पृष्ठ 525 मूल्य 80) दिगम्बर जैन पुस्तकालय खपाटिया चकला, गांधीचौक सूरत-३.टे. नं.(०२६१) 2427621

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