Book Title: Navgrah Arishta Nivarak Vidhan
Author(s): Balmukund Digambardas Jain
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

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Page 36
________________ 341 नवग्रह अरिष्टनिवारक विधान पद्धड़ी छन्द .. जय जय जिन नेम सुनेम धार, - करुणा कर जग जन जलधि तार। जय कार्तक सुदि छठमी प्रधान, .. शिवदेवी उर अवतरे आन॥ जय जय सावन सुदी छठ सुदेव, इन्द्रादि न्हवन विधि करहि सेव। जय जय यदु कुल मंडित दिनेश, सुर नर खग स्तुति करत शेष // जय जय शुचि शुक्ल उदास होय, . छठको तप कर निज आत्म जोय। जय जय निर्मल तनं निर्विकार, भामण्डल छबि शोभा अपार॥ जय जय आश्विन सुदी ज्ञान भान, .. . तिथि प्रथम प्रहर जग सुख निधान। जय जय सावन छठ शुक्ल पक्ष, सब लोकालोक कियो प्रत्यक्ष॥ लहि सुख अनन्त शिव लोक वास। ___ हो त्रिभुवन पति लोकाना थान॥

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