Book Title: Nandanvan Kalpataru 2007 00 SrNo 18
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti

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Page 33
________________ भारतमातृवन्दनम् डो. आचार्यरामकिशोरमिश्रः पूज्यां नमामि भुवि भारतमातरं ताम् । रत्नप्रदा भगवती वसुधा प्रिया या, सर्वसहा सुरसदा सुतदा सुतादा । धान्यप्रदा फलवती कविवर्यवन्द्या, पूज्यां नमामि भुवि भारतमातरं ताम् ॥१॥ (२) केचित्सुता इह महापुरुषाश्च यस्या, भक्ताश्च केचन महाकवयः कवीन्द्राः । भूपाश्च सन्ति हि महाबलिनश्च केचित्, पूज्यां नमामि भुवि भारतमातरं ताम् ॥२॥ पुत्रो बभूव तव दाशरथिः स रामो, लङ्कापतिः स निहतः स्वशरैर्हि येन । __ भूत्वाऽत्र कोसलसुता किल या त्वसूत, पूज्यां नमामि भुवि भारतमातरं ताम् ॥३॥ कीर्तिश्च यस्य निखिले प्रसूताऽस्ति लोके, रामायणं रचितवान् स महाकविर्हि । वाल्मीकिररित स सुतः प्रथितोऽस्ति यस्याः, पूज्यां नमामि भुवि भारतमातरं ताम् ॥४॥ - २० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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