Book Title: Nabhakraj Charitra Author(s): Merutungacharya, Gunsundarvijay Publisher: Divya Darshan Trust View full book textPage 3
________________ अनुक्रमणिका moji ....... १. प्राक् कथन.. २. प्रस्तावना - पं. श्री भुवनसुंदरविजयजी गणी.... ग्रंथ रचयिता का संक्षिप्त परिचय .. ४. श्री नाभाकराज चरित्र. श्री शत्रुजयतीर्थ महिमा............ ............... देवद्रव्य रक्षण-भक्षण के विषय में समुद्र और उसका भाई सिंह की कथा. ७. सुकृत का पुण्यप्रदाता क्या अन्य को सुकृत का दान किया जा सकता है ? ..... २६ छोटे भाई सिंह की दुर्गति . ................ ९. देवद्रव्य का भक्षण सेठ को श्वान बनाता है................. १०. देवद्रव्य का भक्षण करनेवाले नाग कुटुंबी की बरबादी ........... ३२ ११. चंद्रादित्य राजा की कथा.. १२. अंतराय कर्म किस प्रकार क्षय हुए ?............................ परिशिष्ट - (१) देवगुरु की कृपा (२) श्री शत्रुजय माहात्म्य (३) देवद्रव्य के विषय में कुछ (४) तेरे दुःख का कर्ता तू स्वयं ही (५) समुद्र-सिंह-नाग गौष्टिक का भवभ्रमण (६) देवद्रव्यविषयक शास्त्रपाठ (७) श्री जैन संघ वहिवट. प्रकाशन-प्राप्तिस्थान : श्री कुमारपाल वि. शाह, दिव्य दर्शन ट्रस्ट, ३६, कलिकुंड सोसाइटी, धोलका-३८७८१० (अहमदाबाद) फोन : ०७९-२३४२५४८२, २३४२५९८१ प्राप्तिस्थान : भाविन शशीकांत नवलचंद टोलिया, ३०३ सिद्धि टावर, साइबाबानगर, बोरीवली (वेस्ट), मुंबई-४०००९२ फोन : (०२२) २८६१३४१६ लागत-मूल्य : रु. ११-०० पुस्तक प्रकाशन का संपूर्ण आर्थिक सौजन्यदाता ईर्ला-मुंबई निवासी श्रुतप्रेमी एक सुश्रावक परिवार को धन्यवाद! .... ५१ - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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