Book Title: Mumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Author(s): Jain Shwetambar Conference Office
Publisher: Jain Shwetambar Conference Office

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Page 24
________________ (१७) पांचमी दरखास्त रजु करतां शेठ कल्याणंचद सोभागचंदे जणाव्यु जे रीसेपशन कमीटीना चीफ सेक्रेटरी तरीके शेठ फकीरचंद प्रेमचंद रायचंदनी नीमणुक करवी. ए दरखाम्तने शेठ कस्तुरचंद झवेरचंदे टेको आप्याथी सर्वानुमते पसार करवामां आवी हती. मी. अमरचंद पी. परमारे कॉन्फरन्सना संबंधमां विवेचन करतां जणाव्यु के "देशोदेशना अत्रेना रहेवावाळा तमाम साधना जैन बंधुओनी एवी लागणी छेके, बीजी जैन कॉन्फरन्स मुंबाईमां भरवी अने आ कॉन्फरन्समां भाग लेवा माटे मुंबाई पधारनारा गृहस्थोनी आगता स्वागता करवा माटे जे स्वागत कमीटी मुकरर करवामां आवीछे तेनी मतलब ए छे जे, जे प्रतिनिधीओ मुंबाईमां आवशे तेमनी आगतास्वागता ए कमीटी करशे. वळी मंडप, भोजन, उतारा, दवा विगेरे केटलीक व्यवस्था ए कमीटीने करवी पडशे. गई साल मारवाडमां श्री फलोदी मुकामे त्यांनी तीर्थोन्नत्ति सभा तथा जेपुरना माजीस्ट्रेट मी. गुलाबचंदजी ढढा एम. ए. ना प्रयासथी पहेली कॉन्फरन्स मली हती. जेमां मुंबाई, अमदावाद, कलकत्ता, पंजाब विगेरे तरफना प्रतिनिधीओ हाजर थया हता, ते वखते एवो ठराव करवामां आव्यो हतो के बीजी जैन कॉन्फरन्स श्री पालीताणा खाते भरवी. ज्यां कारतक सुदी १५ नी जात्राए घणा जैनो आवे छे अने ते वखते आवी सभा भरावाथी स्वधर्मीभाईओ तेनो मोटी संख्यामां लाभ लई शकशे. परंतु श्रीपालीताणा दरबारसाथे हालमां केटलीक बाबतो संबंधी झगडो चालतो होवाथी त्यां कॉन्फरन्स भरवानो विचार मांडी वाळवामां आव्यो छे अने अमदावाद खाते आगेवान जैनोनी मळेली सभामां मुंबईमां बीजी कॉन्फरन्स भरवानो ठराव करवामां आव्यो छे. ने हालना समयमां हिंदy मध्य बिंदु मुंबई छे ज्यां गुजरात, कच्छ, काठीआवाड रजपुतस्थान, (मारवाड, मेवाड विगेरे) माळवा, पंजाब, कलकत्ता, दक्षिण विगेरे सर्वे भागोना जैन भाईओ वसे छे. वळी आ प्रतापी जगोए हालमां मुनी महाराज श्रीमद मोहनलालजी महाराज पण बीराजे छे जेमना प्रतापी दरेक कार्यमां यश मळवानी संपुर्ण आशा राखी शकाय छे. स्वामी वात्सल्य करवो ऐ जैन भाईओगें मुख्य कर्तव्य छे अर्थात् खाली जमवू जमाडवू नहीं परंतु स्वामी भाईओने एकत्र करीने तेमनी सेवा वैयावच करवी, विचार अदलबदल करवा, एक बीजानां दुःख दूर करवां तथा कूडा रिवाजो दूर करवा प्रयत्न करवो विगेरे माटे स्वामीवात्सल्य करवा शास्त्रनुं फरमान छे अने कॉन्फरन्सनो पण ते हेतु छे. आथी जणाशेके कॉन्फरन्स कई नवी बाबत नथी. कार्तकी पुनमे, चैत्री पुनमे, फागण विगेरेमां जुदे जुदे तीर्थे दरसाल जात्राना मेळा भराय छे ते कॉन्फरन्स जेवाज छे. पाटणमां ज्यारे श्रीमद् मोहनलालजी महाराज बीराजता हता त्यारे जीर्ण जैन पुस्तकोनो उध्धार करवानी तजवीज थई हती. पण पछवाडेथी ते हीलचाल पडी भागी छे तो ते चालु राखवी जोइए. अत्रे निराश्रित फंडो थयां हतां ते संबंधी पण गोठवण थवी जोईए. वळी शास्त्र विरुद्ध जे रोवा कुटवा विगेरे हानिकारक रीवाजो छे, ते पण दूर करवा तजर्वाज करवी जोइए. जैन शासननी उन्नतिना अनेक प्रकारनां कार्य तथा सुधारा माटे खाली वातो करी उठी जवानुं नथी परंतु काई सिद्ध करी बताव, जोइए छे. अलबत, शरूआतमां धीमे धीमे काम थाय छे परंतु एक बीजा साथे मळी अनुभव लईने काम करीशुं तो ते सहेलुं पडशे अने ते मतलब कॉन्फरन्सथी पार पडशे. बहारगामी आ कॉन्फरन्समां पंदरसो उपर प्रतिनिधिओ आववानो संभव छे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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