Book Title: Mukt Gulam Author(s): Usha Maru Publisher: Hansraj C Maru View full book textPage 8
________________ प्रीत 132 134 प्रेम 136 138 100 बॉल ओन द वाल मिथ्यात्व का विस्फोट मिथ्यात्व मुक्त जीव और पुद्गल मैं तुझमें तू ही मुझमें मैं हूं मुझ में मैंने मुझ से प्यार किया है जितना यह ६० साल बिताये हैं किसने? संगीत की महफिल 143 145 101 102 103 104 106 107 147 149 सत्य સંયોગ છે હે પ્રભુ Mukt मुक्त भुत 100 Beliefs Born in a Jain Family I Am The Knower When I Get Dirty न जिंदगी है न मौत जैन धर्म एक अचरज आतम भावना भावता आनंद ही आनंद हूं खुद से खुद पद गंडू राजा घर से बुलावा आया है छुपनेवाले जिनवाणी माँ जीव ज्ञायक दिल एक मंदिर है पूज्य श्री गुरुदेव का दिया पहला रत्न पूज्य श्री गुरुदेव का दिया दूजा रत्न पूज्य श्री गुरुदेव का दिया तीजा रत्न पूज्य श्री गुरुदेव का दिया चौथा रत्न पूज्य श्री गुरुदेव का दिया पाँचवा रत्न 150 152 154 108 110 112 113 115 117 119 स्वीकार જમાનો મારાથી છે અંતર મારું આત્મા / જીવા જુકો પાં વટે આયા નિમિત્ત/ઉપાદાના નિરાવલંબી આત્મા પરમ પારિણામિક ભાવ વર્તમાન જ્ઞાનની પર્યાય સમય હું આત્મા છું જવું શરીર નથી Why Mukt Gulam? 165 122 128 130 06Page Navigation
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