Book Title: Mahavira Purana
Author(s): Manoharlal Shastri
Publisher: Jain Granth Uddharak Karyalaya

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Page 7
________________ विषय. • अथ श्रीमहावीरपुराणकी विषयसूची. पृ.सं. पहला अधिकार ॥ १ ॥ मंगलाचरण वक्त के लक्षण श्रोताके लक्षण दूसरा अधिकार ॥ २ ॥ कथाका आरंभ, उसमें महावीर स्वामीका पहला पुरूरवा भीलका भव ( जन्म ) | पुरूरवा भीलका धर्म पालनेके फलसे पहले स्वर्गमें देव होना ... उस देवको स्वर्गसे आकर अयोध्या नगरीमें. श्री ऋषभ देवके पुत्र श्रीभरत - चक्रवर्तीके यहां मरीचि पुत्र होना श्रीऋषभ देवको चैराग्य होके तप करनेके लिये वनमें जाकर दीक्षा लेना और उनके साथ मरीचि कच्छ वगैरः बहुतसे राजाओंका केवल स्वामीभक्तिसे वादीक्षाका लेना. श्रीषभदेवको छह महीनेकी, समाधि लगाते देख भूख प्यास आदिसे दुःखो मरीचि गैरःको तपसे भ्रष्ट होके फलआदि खानेका १ 33333 " विषय, उद्यम करना, ऐसा देख वनदेवताको उनके प्रति मुनिभेषसे निन्द्य कार्य करनेसे दंडका भय दिखलाना ... मरीचि आदिको मुनिभेषं छोड संन्यासियों का वेष धारण करना... 6.6 ... श्री ऋषभदेवको केवल ज्ञान होना व उनके समो सरण (सभा) में जाकर कच्छादि भेषिया वास्तवमें मुनि होना ..: मरीचिको मिथ्यात कर्मके उदयसे त्रिदंडी होकर कपिलादि शिष्योंको सांख्य मतका उपदेश करना मरीचिका मरणके बाद पांचवे स्वर्ग में खोटे तपके फल देव होना ... ... उस देवको कपिल ब्राह्मणके घर जटिल नामका पुत्र होना फिर मिथ्या तपके फलसे पहले स्वर्ग में देव होना उस देवको भारद्वाज ब्राह्मणके घर पुष्पमित्र ... ... नामका पुत्र होना ... ... पू. सं. "" 6 ތ " 202006

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