Book Title: Mahavira Purana Author(s): Manoharlal Shastri Publisher: Jain Granth Uddharak Karyalaya View full book textPage 5
________________ S Read ॐ नमो महावीराय घरस्तावना ___ आज मैं श्रीमहावीर प्रभुकी कृपासे उन प्रभुके पवित्र चरित्र जाननेमें बहुत दिनोंसे उत्कंठित भव्य पाठकोंके सामने यह प्रथमानुयोगका अपूर्व तीसरा उद्धार ग्रंथ उपस्थित कर अपने स्थापित श्रीजैनग्रंथउद्धारक कार्यालयको सार्थक ( यथार्थ गुणवाला ) करता हूं । यद्यपि आजकल कागज वगैरहका मूल्य अधिक होनेसे इसके तयार करानेमें कुछ अनुत्साहसा होगया था, परंतु लक्ष्मीवगैरहको चंचल समश और अपना पराया दोनोंका महान् उपकार होनेके लिये आवश्यक कर्तव्य जानकर इस महान् ग्रंथके उद्धारमें तन मन धन-तीनोंसे परिश्रम किया गय| है। इस ग्रंथमें सब जगह पुण्यपापका फल अच्छी तरह दिखलाया गया है। यह उन महावीर प्रभुका अनेक गाजन्मोंका सूचक पवित्र पुराण है कि जिन प्रभुने अपने पहले जन्मोंके दुःखोंको याद कर अपने तीर्थकरपद-110Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 323