Book Title: Mahavira Prabandh Kavyo ka Adhyayana
Author(s): Divyagunashreeji
Publisher: Vichakshan Prakashan Trust

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Page 219
________________ २०४ हिन्दी के महावीर प्रबन्ध काव्यों का आलोचनात्मक अध्ययन " तेजोलेश्या लौटी तापस घबराया, उसके भीतर आग लगी, वह तड़प उठा । अग्नि पुञ्ज उसके ही भीतर समा गया, एक बार गोशाला फिर से तड़प उठा । १ *** वास्तव में कवियों ने भगवान महावीर महाकाव्यों के अन्तर्गत भगवान के अतिशयों को सुबोध - सरल भाषा में प्रस्तुत कर उन्हों की महत्ता को मूर्तरुप दिया है पाठकों की श्रद्धा को दृढ़ किया है। सच्चे रुपमें इन कवियों ने इन कृतियों की रचना करके साहित्य और समाज की महती सेवा की है ***** 'श्रमण भगवान महावीर” : कवि योधेयजी, सोपान - ८, पृ. ३३५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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