Book Title: Mahavira Prabandh Kavyo ka Adhyayana
Author(s): Divyagunashreeji
Publisher: Vichakshan Prakashan Trust

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Page 254
________________ २३९ हिन्दी के महावीर प्रबन्ध काव्यों का आलोचनात्मक अध्ययन उपदेशामृतः धर्म का देते प्रभु आदेश तारकों में जैसे राकेश सुधामय झरती थी वाणी सकल जन-जन की कल्याणी -१ समोवशरण की रचना का वर्णनः चारों दिश मानस्तंभ चार मानी का मान घटाने को, लगता था चारों मुक्ति दूत आए हैं मुक्ति दिलाने को, मणिमयी कोट दरवाजों पर हर ओर ध्वजा लहराती थी, बन बाग, बापिका बीथों में हर ओर बहार दिखाती थी, २ *** त्रिशला का सौन्दर्य : वह मूर्ति मन्त्रों से बनी, वह पूर्ति तीर्थों की कला। मानों करोड़ो पुण्य से, वह रुप का दीपक जला॥३ *** वनचारी की भक्ति व श्रद्धाः ऋतुराज वसन्ती फूल लिए, प्रभु की पूजा करने आया। मानों केसरिया बाने में, ऋतुराज वीर के स्वर लाया।' * ** अहल्या का उद्धार पाषान प्रतिमा को जीवन का दिया दान मानों अहल्या का उद्धार दर्शन था। *** T or is in "तीर्थंकर महावीर" : कवि गुप्तजी, सर्ग-४, पृ.१५६ “त्रिशला नंदन महावीर" : कवि हजारीलाल, पृ.६८ “वीरायण" : कवि मित्रजी, “तालकुमुदिनी", सर्ग-३, पृ.७७ वही, "दिव्य दर्शन", सर्ग-११, पृ.२७७ वही, “अनन्त', सर्ग-१४, पृ.३३४ x ; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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