Book Title: Mahavira Prabandh Kavyo ka Adhyayana
Author(s): Divyagunashreeji
Publisher: Vichakshan Prakashan Trust

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Page 238
________________ हिन्दी के महावीर प्रबन्ध काव्यों का आलोचनात्मक अध्ययन मुहावरें - कहावतें : मुहावरें और कहावतें भाषा के वे अंग है जो “गागर में सागर" भर देते हैं । थोडे में बहुत कहने की कला इसमें होती हैं। ये मुहावरें लक्षणा और व्यंजना का कार्य करते हैं । भाषा की गरिमा बढती हैं। वास्तव में ये लक्षणा-व्यंजना के अधिक निकट होते हैं । प्रस्तुत प्रबंध काव्यों में कवियों ने मुहावरें, कहावतें, दोहे, सूक्तियों आदि का विभिन्न घटनाओं के अनुकूल सुंदर ढंग से चित्रण अंकित किया है दाग पर दाग लगना : गरल उगलना : खिलखिला उठना : जो कुसंग में फंस गया, उसे डस गया नाग । मरा नहीं जिन्दा नहीं, दाग दाग पर दाग ॥ १ *** दांतो में जीभ दबाना : १. २. ३. फिर आता है सर्पिणी काल, डसता है गरल उगलता है। गर्वान्ध दुष्ट राजा बनते, मद में इन्सान उछलता है ॥ २ उनके अभिग्रह की कथा सुनो, तुम चकित खड़े रह जाओगे । संकल्प जान लो उनका तो, दातों में जीभ दबाओगे । ३ *** २२३ रात हुई तो घर-घर दीपक कोटि-कोटि जगमगा उठे । "वीरायण" : कवि मित्रजी, “बालोत्पल", सर्ग - ५, पृ. ११६ वही, “पृथ्वी पीड़ा”, सर्ग-२, पृ. ६२ 'श्रमण भगवान महावीर” : कवि योधेयजी, "महावीरका अभिग्रह” सप्तम् अधिकार, पृ. २६३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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