Book Title: Madhyakalin Gujarati Shabdakosha
Author(s): Jayant Kothari
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 680
________________ थोडी शब्दार्थचर्चा ५९४ मध्यकालीन गुजराती शब्दकोश नेमिछं.मां अलगी नांखइ सोवनत्रोटी. (सोनानी त्रोटी दूर फेंकी दे छे.) जइ मझ सरिखी नारि थूक जिम अलगी लांखइ. (मारा जेवी स्त्रीओने यूंकनी जेम वेगळी करी नाखे छे | तजी दे छे.) संपादके 'अळगी, जुदी, दूर' एम अर्थो नोंध्या छे तेमां 'जुदी'नी जरूर नथी. 'वेगळु, दूर' ए अर्थ स्पष्ट ज छे. कादं (शा).मां - रा आगली महेली ग्यु अलगु अंत्यज एहq भाखी. ((पोपटने) राजानी पासे मूकी, आq कहीने अंत्यज आघो जतो रह्यो.) कां रही अलगी ? एटला माहां शुं थाकी ? (केम वेगळी - आघी थई गई ? एटलामा थाकी गई ?) राजाने नवडाववानुं बंध करनार दासी प्रत्येनी आ उक्ति छे. संपादके 'जुईं अर्थ आप्यो छे ए योग्य नथी. बीजा उदाहरण परत्वे केशवलाल ध्रुवे पण 'वेगळी' एवो अर्थ ज कर्यो छे. नलाख्या.मां - ....कोएक नर आ मंदिर रही, हवडां मुझने स्पर्स ज थयु, झालूं एटलि अलगू थयु. - (कोई एक पुरुष आ महेलमां छे. हमणां मने एनो स्पर्श थयो, पण एने पकडं एटलामां तो ए दूर जतो रह्यो.) संपादके 'जुदु' अर्थ आप्यो छे ते संदर्भमां योग्य रीते बंधबेसतो थतो नथी. उषाह.मां - अधमाधम अलगेरी थटी. संपादके 'अळगी' अर्थ आप्यो छे तेमां एनो आजनो 'जुदी' ए अर्थ अभिप्रेत जणाय छे. देखीती रीते तो ए बेसे. द्वारकामां जुदाजुदा लोकोना वासना वर्णननी आ पंक्ति छे. तेथी सौथी हलका वर्णना लोकोनुं निवासस्थान जु, छे एवो आ पंक्तिनो अर्थ लई शकाय. पण निवासस्थान जुर्दु ज नहीं, दूर - सौथी दूर - छेल्ले होवानो अर्थ अभिप्रेत होवानो संभव छे. विमप्र.मां - भड भडवाय हता घणा, ते तु आपणा अलग लेई जीव तु. (पराक्रमी वीर पुरुषो हता ते पण पोताना जीवने वेगळा लई जाय छे | नासीने Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716