Book Title: Madhyakalin Gujarati Shabdakosha
Author(s): Jayant Kothari
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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थोडी शब्दार्थचर्चा
६०० मध्यकालीन गुजराती शब्दकोश वपरायेलो मळे छे. जेमके, गुर्जरा.मां -
रिसहि राज्यकला धुरि आवरी. (ऋषभे प्रथम राज्यकला स्वीकारी.)
संपादकोए 'to receive respectfully' (सत्कार एवो अर्थ आप्यो छ ते चाले तेवो छे. आरारा.मां -
मइ पिणि तुझनइ आवर्यउ हो, जाणी आंबानी डालि. (में आंबानी डाळ जाणीने तारो आश्रय कर्यो हतो.)
तेहनइ जाइ बेटी एक, यौवनवय आवरीय. (तेने एक पुत्री जन्मी. ते यौवनवयने पामी.) संपादके 'आश्रय लीधो' एवो अर्थ आप्यो छे ते पण चाले. लावल.मां -
केवलकमला आवरी. (केवळज्ञानरूपी लक्ष्मी पाम्या.)
संपादके ‘आदर करी, स्वीकारी' एवा अर्थ आप्या छे तेमांथी 'स्वीकारी' अर्थ नभी शके. नरका.मां -
ए रस शुकसनकादिके, वळी शिव-शिवाए आवर्यो. (शुकसनकादिक अने शिव-शिवाए ए रसनो स्वीकार कर्यो | तेओ ए रस पाम्या.)
ऊंघ, आहार ने आळस में आवर्या. (में ऊंघ, आहार ने आळसनो आश्रय लीधो.)
भूल्या भमता फरे, अन्यने आवरे. (भूल्या भटके छे अने अन्यनो आश्रय ले छे.)
संपादके 'आवकारवू, सत्कारतुं' एवा अर्थो लीधा छे ते आ संदर्भमां सुभग लागता नथी.
आनंस्त.मां -
परम चरणधर्म ते धर्म तुह्मरो जाणीइ आवरीइ. (परम चारित्रधर्मनो, ते तमारो धर्म जाणीने, आश्रय करीए.)
संपादके 'आदरीए' एवो पर्याय आप्यो छे ते 'शरू करीए' एवा अर्थमां ज अभिप्रेत गणाय, ए अर्थ अहीं उपयुक्त जणातो नथी.
सार्थ जोडणीकोश 'आदरयुनो 'संवनन कर' ने 'अदरावू'नो 'विवाह के सगपण
___Jain Education International 2010_03
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