Book Title: Madhyakalin Gujarati Shabdakosha
Author(s): Jayant Kothari
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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थोडी शब्दार्थचर्चा
६१०
मध्यकालीन गुजराती शब्दकोश
वाळशे/तमारा ऋणमांथी मुक्त थशे.)
अहीं ‘ने उशंकल थर्बु' ए प्रयोग छे ए नोंधपात्र छे. (२८) एमां ज, रोगिष्ठ राजानो उपचार करवा आवनार वैद्य कहे छे -
नव नाडी कोठा बोहोतर तणी वखाणी जाणुं वात, ___ओशंकल थायुं एटलुं रोग-परिख्या ख्यात. (६, २८)
(तमे जे कई पुरस्कार आपवाना छो एनो बदलो वाळी शकुंएटलुं मारुं रोगपरीक्षार्नु ज्ञान छे.)
राजाए पुरस्कार जाहेर कर्यो छे पण उपचार थयो नथी एथी ए मळ्यो तो नथी. माटे 'ऋणमुक्त अर्थ लेवार्नु अगवडभर्यु छे.
(२९) मदमो.मां काबुलीने गयेली गंगनी पत्नी दूधां, गंग अने काबुली वच्चे युद्ध थाय छे त्यारे, काबुलीने गंगना कमरनी कटार लई एनो घात करवा कहे छे, जे काबुली समजी शकतो नथी. ए वखते गंग कहे छे -
ए सुं समजे मुरखो, तु जोजे माहारा हाथ. खाधु-पीधुं माहरू, ते ओशींगल कीध,
एने कहं ते में लहं, रूडी शीक्षा दीध. (६९१-९२) (ए मूर्ख शुं समजवानो छे. हवे तुं मारो हाथ जोजे. आज सुधी तें मारुं खाधुं-पीधुं तेनो आज बदलो वाळी आप्यो. तें जे एने कह्यं ते हुं समजी गयो. तें सारी शिखामण आपी.)
__संपादके आ अने पछीनां उदाहरणो परत्वे 'ऋणमुक्त' अर्थ आप्यो छे पण अहीं 'ओशींगल कीध' एवी रचना छे. 'तारी जातने ऋणमुक्त करी' एम अर्थ लई शकाय, पण 'बदलो वाळ्यो' ए अर्थ वधु स्वाभाविक लागे छे. अनंतराय रावळे एमना संपादनमां आ अर्थ लीधो छे.
(३०) एमां ज, गुणकाना पंजामां सपडायेली मोहना एमांथी छटकी नासी जवा तत्पर थई होय छे त्यारे विचारे छे -
___ गुणका गुण दीधो मुने, कांईक ओशीकल थाउ. (१०१६)
(गुणकाए मने गुण-उपकार कर्यो छे, ते तेना ऋणमांथी कंईक मुक्त थाउं । एनो बदलो वाळु.)
वस्तुतः अहीं 'गुण दीधो' ए कटाक्षमां बोलायेखें वचन छे. गुणकाए तो अपकार कर्यो छे. एटले 'ऋणमुक्त थवा' करतां 'बदलो वाळवो'नो अर्थ वधु उपयुक्त गणाय. आ उद्गार पछी जेणे जेवू कर्यु होय तेवू सामुं करीए तेवी मतलबनो छप्पो आवे छे ते पण 'बदलो वाळवो'ना अर्थ, ज समर्थन करे. मोहना जाय छे पण गुणकाना
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