Book Title: Madhyakalin Gujarati Shabdakosha
Author(s): Jayant Kothari
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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थोडी शब्दार्थचर्चा
५९८
मध्यकालीन गुजराती शब्दकोश
अने 'आडौ आणो/आवणो'नो 'मदद करवी' एवो अर्थ आपे छे. मध्यकालीन गुजरातीमां 'शरण' के 'मदद'ना अर्थना प्रयोगो मळे छे. जेमके, प्रेमाका.मां -
सर्व बेठां मूळ वाढे, तम विना कोण आवे आडे. संपादके 'आडे'नो 'वच्चे' एवो अर्थ आप्यो छे ते सीधा शब्दार्थनी दृष्टिए बराबर छे, पण अहीं राहत रूपे वच्चे आववानी वात छे एटले 'आडे आवे'नो 'मददे आवे' एवो अर्थ वधारे सुभग छे : "बधां मूळ वाढी रह्यां छे त्यारे कोण मददे आवशे ?" जिनरा.मां -
श्री जिनराज सुविधि साहिब सुं किम पहुंचीजइ आडइ. (जिनराज सुविधिनाथना शरणमां केम पहोंचीए ?) संपादके 'आडइ'नो 'हठ करीने' एवो अर्थ आप्यो छे ते खोटो छे ए स्पष्ट छे. एमां ज -
प्रहसम थास्यै मुझ वारी, इम चिंतवि चउथी नारी,
आडौ तब कोई न आसै... (चोथी स्त्री विचारे छे के सवारे मारो वारो आवशे, त्यारे कोई मारी मददमां नहीं आवे.) संपादके 'काममां आवशे' एवो अर्थ आप्यो छे ते पण चाले.
३९. आदर, आवखं 'आदर' शब्द 'मान-संमान'ना अर्थमां अने 'आदर' शब्द 'आरंभ करवो'ना अर्थमां आपणे वापरीए छीए. जोडणीकोश 'आदरयु' शब्दनो 'स्वीकार करवो' एवो अर्थ पण आपे छे. ____ मध्यकाळमां ‘आदर' शब्द 'प्रयत्न'ना अर्थमां पण वपरातो देखाय छे. अखाछ.मां आ अर्थ लेवामां आव्यो छे. जेमके,
ते अल्प आदरे आवे हाथ - (अल्प प्रयलथी ए हाथमां आवे.)
जेवे आवरे करीने ग्रहे, तेवू मुक्ता जामी रहे. (जेवा प्रयत्लथी / जेवी निष्ठाथी स्वीकारे तेवू मोती बने.)
शुद्ध पारसने जे जे अडे, ते ते कंचन थई नीमडे
पण ते आदर केनो नव करे. (पण ते कशाने माटे प्रयत्न करतो नथी.) 'आदर' शब्द 'आश्रय, स्वीकार'ना अर्थमां पण मळे छे. जेमके अखाका.मां -
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