Book Title: Madhyakalin Gujarati Shabdakosha
Author(s): Jayant Kothari
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 691
________________ मध्यकालीन गुजराती शब्दकोश थोडी शब्दार्थचर्चा यमघंटा समजावे छे के शेठे तमने कईक आपवानुं कह्युं छे तेथी ए घडामां देsको मूकी हाथ नाखवानुं तमने कहेशे अने पछी "घडा-माहि कांइ छइ सही", "ओसींकल हूया अम्हे भई.” (२२९) (तमे कहेशो के घडामां कांईक छे एटले ए कहेशे के अमे ऋणमुक्त थया.) संपादके शब्दकोश आप्यो छे पण अर्थो आप्या नथी. (७) ए कृतिमां ज, माळी ज्यारे 'कांईक'नी मागणी करे छे त्यारे शेठ कहे छे www ६०५ सउ पंचास लिउ तुम्हे सही, ओसीकल तुम्हे करउ सही. (३०२ ) ( पचास - सो रूपिया लई लो अने अमने ऋणमुक्त करो . ) (८) एमां ज सुतारने राजी करवानुं वचन आपेलुं. एने समाचार आपवामां आवे छे के राजाने त्यां दीकरो अवतर्यो छे पछी "रुलियाइत अम्हे थया छउं सही", "ओसीकल अम्हे हूआ भई." (३०७) (सुतार कहे छे के अमे राजी थया. एटले शेठे कह्युं के अमे ऋणमांथी छूट्या.) (९) प्रेमाका. अंतर्गत 'अभिमन्यु - आख्यान' मां पांडवोने पोते दास तरीके राख्या एनो अफसोस व्यक्त करी विराट राजा कहे छे ते भार ओशींकळ करो, उत्तराकुंवरी मारी वरो. (२२, ८) (ते भारमांथी मने मुक्त करो.) संपादके 'ओशिंगळ; हळवो, ऋममुक्त; आभारी' एवा अर्थो नोंध्या छे, जेमां संपादक अर्थ परत्वे अनिश्चित होवानुं देखाय छे. चिमनलाल त्रिवेदी वगेरेए तथा विनोद अध्वर्यु वगेरेए एमनां संपादनोमां 'आभारी, उपकृत' एवो अर्थ लीधो छे, जे खोटो ज छे. (१०) दशस्कं ( २ ). मां शत कल्प सेवा करवा रहीए, पण माना ओशीकळ नव थईए. - Jain Education International 2010_03 (सेंकडो कल्पो सेवा करीए, तोये माना ऋणमांथी मुक्त न थवाय.) संपादके 'ऋणमुक्त' अर्थ आप्यो छे. (११) ए कृतिमां ज, नंदजी प्रत्ये कृष्ण कहे छे अमो ओशंकळ केम थईए रे, गोकुळ - स्वामी ? एवं कहीने आंसु भरियां अंतरजामी. (१२२, पद ७, १) (ह गोकुळना मालिक, तमारा ऋणमांथी अमे केम मुक्त थईए ? ) संपादके शब्दकोशमां आ संदर्भ नोंध्यो नथी. (१०९, ४६ ) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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