Book Title: Madhyakalin Gujarati Shabdakosha
Author(s): Jayant Kothari
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 685
________________ मध्यकालीन गुजराती शब्दकोश सद्गुरु केरा चरण आदर करी..... (सद्गुरुना चरणनो आश्रय लईने ....) संपादके 'प्रयत्न' अर्थ आप्यो छे ते अहीं चाले तेम नथी. छे. ५९९ आज रीते, 'आदरयुं' पण 'प्रयत्नशील थवं प्रवृत्त थयुं, करवुं' एवा अर्थमां वपराय छे. अखाछ. मां 'प्रयत्न करवो' एवो अर्थ लेवायों छे. जेमके, भूचरनी कांई बीजी पेर, एम जाणी अखा आदेर. (भूचरनी कोई बीजी ज रीत छे एम समजीने तुं प्रयत्नशील था . ) एणे रसे जीव करें आदरी. ( आ रसथी जीव प्रवृत्त थाय छे.) - डाह्या पंडित थइ जे आवरे, ते अखा वायु केम करे ? (डाह्या पंडित थईने जे प्रवृत्त थाय छे ते वायु केम करे ?) प्रेमाका. मां थोडी शब्दार्थचर्चा जे वेळा आदरिया द्रोण, त्यारे कुंवरने राखे कोण (द्रोण ज्यारे प्रवृत्त थया, त्यारे कुंवरनी रक्षा कोण करे ?) जो आदर्स तो असुरकुळने त्रेवडुं तृणमात्र. (जो हुं प्रवृत्त थाउं तो असुरकुळने तणखला समुं लेखु.) संपादके 'आरंभ करवो' एवो अर्थ लीधो छे पण उपरनो अर्थ वधारे योग्य छे. अखेगी.मां अणजाण्ये जे आदरे..... ( समज्या विना जे ( भक्ति) करे...) संपादकोए 'आरंभ' अर्थ लीधो छे ते देखीती रीते चाले पण ' ने माटे प्रवृत्त थाय' 'करे' एवो अर्थ अभिप्रेम जणाय छे. भक्ति उपरे आदर्यो. (भक्ति विशे प्रवृत्त थयो.) संपादको अहीं 'प्रयत्नशील थयो' एवो अर्थ लीधो छे ते बराबर छे. नलाख्या. मां Jain Education International 2010_03 मंद हास्य करी रा उच्चरि: 'नारी, मूरखता आदरि. ' (मंद हास्य करीने राजा बोल्यो : नारी, तुं मूर्खाई करे छे.) संपादके 'शरू करे छे; मान आपे छे' एवा अर्थो आप्या छे ते अहीं अप्रस्तुत 'आदरयुं' शब्द 'स्वीकारयुं, सत्कार, आश्रय लेवो, पामवुं' एवा अर्थोमां पण For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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