Book Title: Madhyakalin Gujarati Shabdakosha
Author(s): Jayant Kothari
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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मध्यकालीन गुजराती शब्दकोश
थोडी शब्दार्थचर्चा
बचावी ले छे.) संपादके पण 'अलग'नो अर्थ 'दूर' आप्यो छे.
३६. अंक भरवो संस्कृतमांथी आवेलो 'अंक' शब्द 'खोळो' ए अर्थमां आपणे त्यां जाणीतो छे. सार्थ गुजराती जोडणीकोश दे. 'अंकिअ' परथी आवेलो बीजो 'अंक' पण नोंधे छे अने एनो 'आलिंगन' एवो अर्थ आपे छे. परंतु आ अर्थमां आ शब्द अत्यारे जाणीतो नथी. मध्यकाळमां 'अंक' शब्दना 'आलिंगन' ए अर्थना प्रयोग मळे छे, पण ए कृतिओना संपादके 'खोळो' एवो अर्थ ज लीधो छे. जेमके, नरका.मां - ताहरु चलण दीसे घj घर विशे,
समुद्रतनया हीडे अंक भरतां. संपादके 'अंक भरतां'नो अर्थ 'खोळो भरतां, आजीजी करतां' एवो आप्यो छे. आ उक्ति राधाने उद्देशीने कहेवायेली छे. राधानुं जो घरमां चलण होय, तो लक्ष्मीनुं स्थान ऊतरतुं बताववानो उद्देश ज होय एम मानी संपादक 'खोळो भरतां' एटले 'आजीजी करतां' एवा अर्थ तरफ गया जणाय छे. पण एमां एक मुश्केली छे. 'खोळो भरवो'नो 'आजीजी करवी' एवो अर्थ लेवा माटे कोई आधार नथी. हा, 'खोळो पाथरवो' एटले 'आजीजी करवी' एम अर्थ थाय छे खरो.
पण 'अंक भरवो' एटले 'आलिंगन ले,' एवो अर्थ अन्य घणे स्थाने जोवा मळे छे. तेथी उपरना दाखलामां पण ए ज अर्थ लेवो जोईए. राधिकानुं घरमां चलण छे अने लक्ष्मीजी पण आलिंगन लेतां फरे छे ए जातनो वाक्यान्वय थई शके.
नरसिंह महेतानी ज बीजी पंक्तिओमां 'अंक भरवो'नो 'आलिंगन ले,' एवो अर्थ बराबर बेसे छे :
प्रेमदा प्रेमसुं पान अधिक रे, अंक भरि नाथ उरमांहे राखे. -(प्रेमदा अधिक प्रेमपान करे छे अने नाथने अलिंगन आपी पोताना हृदयमा राखे
____ अंक भरी आशवाश दईने लई मंदिरमां पधराव्या रे. (आलिंगन लई, आसनावासना करी लई जईने महेलमां पधराव्या.)
भगवद्गोमंडल पण दयारामनी नीचेनी पंक्ति उद्धृत करी 'अंक भरवो'नो 'बाथ भीडवी' एवो अर्थ आपे छ :
हा ना करतां रे भरी अंक, अधर उठावी रे लाव्या कुंज निःशंक. (गोपी हा-ना करती रही अने कृष्ण एने बाथमां लई, ऊंचे उठावी कुंजभवनमां
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