Book Title: Madhyakalin Gujarati Shabdakosha
Author(s): Jayant Kothari
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 676
________________ थोडी शब्दार्थचर्चा ते 'अमाप' साथे तेम 'अमामो' साथै संबद्ध गणाय. भगवद्गोमंडल तथा बृहद् गुजराती शब्दकोश 'अमामो' शब्दनो 'अमूल्य' अर्थ आपे छे ते पण भ्रान्त गणवुं जोईए. भगवद्गोमंडले 'आनंदकाव्यमहौदधि'मांथी पण साटुं बाझे नहीं, कहे अमामो माल ते उदाहरण आप्युं छे तेमां पहेली दृष्टिए 'अमूल्य' अर्थ बेसी जाय, पण समग्र प्रयोगपरंपरा जोतां 'अमाप, पुष्कळ' ए अर्थ ज लेवो जोईए. प्रसंगसंदर्भ मळे तो आ वात वधारे सारी रीते स्थापित करी शकाय . अखाका. मां 'अमाणुं', 'अमान', 'अमानी' मळे छे ते पण 'अमा-' साथै संकळायेला ज मानवा जोईए : भाईओ ! भव संताप, भात देखीने भूलवुं, अक्षर अमाणुं आप, आठे पहोर अखो कहे. संपादके 'अमाणु' ना मूळमां अरबी 'अमान' शब्द मानी 'रक्षण' एवो अर्थ आप्यो छेतेने संदर्भमां केवी रीते बेसाडवो ते कोयडो ज छे. 'अमाणुं' एटले 'मान - माप वगरनुं, अनंत' एवो अर्थ लेतां वाक्यार्थ बराबर बेसी जाय छे : “आत्मतत्त्व अक्षर अने अनंत छे.' ए अनुभव अद्भुत अमान. 17 संपादके 'अमान' शब्दना बे अर्थ आप्या छे : सं. 'अ-मान' एटले 'अहंभाव विनानो' अने अरबी 'अमान' एटले 'निर्भयतानो, अमरत्वनो'. 'मान' शब्द संस्कृतमां 'माप' ना अर्थमां पण छे ए संपादकने स्मरणमां आव्युं नथी तेथी ज आवा अर्थोमां खैंचाई जवानुं बन्युं छे. अहीं पण पंक्तिनो अर्थ स्पष्ट छे: “ए अनुभव अद्भुत अने अमाप, अनंत छे." ५९० मध्यकालीन गुजराती शब्दकोश पिंड-ब्रह्मांड ते काच ज स्थानी, तेहेनुं पोषण वस्तु सदा अमानी. संपादके 'अमानी' नो 'मानी शकाय नहीं तेवो' एवो अर्थ आप्यो छे त्यां वळी, एमां 'मान' शब्द रहेलो होवानुं वीसराई जवाथी त्रीजा ज भळता अर्थ तरफ खेंचाई जवानुं बन्युं छे. अहीं 'वस्तु' शब्द स्त्रीलिंगनो होवाथी 'अमान'नुं 'अमानी' थयुं छे. 'आप' अमान, पण 'वस्तु' अमानी. अर्थ तो एक ज छे. वस्तु एटले ब्रह्मने 'अमाप, अनंत' कहेवामां आवेल छे. [ अनुसंधान-२ ] Jain Education International 2010_03 ३३. अनिआउ, अन्या, अंन्ना, अन्नैयो, अन्याई 'अन्याय' शब्द आजे आपणे बीजाओ प्रत्येना अणछाजता, हानिकर्ता ने जुलमी वर्तन माटे वापरीए छीए. मध्यकाळमां आ शब्द 'दोष', 'वांक', 'गुनो', 'अटकचाळु', 'तोफान' एवा अर्थोमां तथा 'अन्यायी' शब्द 'अटकचाळो' 'तोफानी' एवा अर्थोमां For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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